खुश रहने का राज -एक प्रेरणादायक कहान

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एक जंगल में एक ऋषि रहते थे| लोग अपनी समस्याएं लेकर आते थे और ऋषि उनका समाधान करते थे| एक बार एक व्यक्ति ने ऋषि से पूछा, ‘ गुरुदेव’, खुश रहने का क्या राज है?

ऋषि ने उससे कहा, ‘ तुम मेरे साथ जंगल में चलो, वहीं पर मैं तुम्हें खुश रहने का राज बताता हूं’| और वह दोनों जंगल की ओर चल दिए| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को दे दिया और कहा, इसे पकड़ो और चलो|

उस व्यक्ति को समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उनसे पत्थर उठाने के लिए क्यों कह रहे हैं| इसमें खुश रहने का क्या राज है? लेकिन उन्होंने कोई सवाल जवाब नहीं करते हुए ऋषि की बात को मानना ही उचित समझा और उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और चलने लगा|

कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा, लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा|

लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उससे दर्द सहा नहीं गया, तो उसने कहा कि गुरुदेव अब मैं इस पत्थर का वजन नहीं उठा सकता हूं| मेरे हाथों में बहुत तेज दर्द हो रहा है|

ऋषि ने कहा कि पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने से उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुई|

तभी ऋषि ने कहा:-‘ यही है खुश रहने का राज’| व्यक्ति ने कहा, ‘मैं समझा नहीं गुरुवर’|

ऋषि ने कहा:- जिस तरह इस पत्थर को 1 मिनट तक हाथ में रखने पर थोड़ा सा दर्द होता है और 1 घंटे तक हाथ में रखने पर ज्यादा दर्द होता है| ठीक उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक हम अपने जीवन में रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दुखी और निराश रहेंगे|