गधा और हाथी

0

एक बार की बात है अप्पू हाथी और डब्लू गधा जंगल के हरे-भरे मैदानों में घूम रहे थे.घांस चरते-चरते गधा बोला, “अप्पू भाई! इन नीली घांसों का स्वाद ही कुछ और है.”

“क्या कहा? नीली घांसों का?”, अप्पू हाथी ने आश्चर्य से पूछा.

“हाँ, इन नीली घांसों का स्वाद बड़ा अच्छा है.”, गधा कॉन्फिडेंस के साथ बोला.

“डब्लू तू कितना मूर्ख है ये घास हरी है नीली नहीं”, अप्पू ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा.

इस पर गधा नाराज़ होते हुए बोला, “ओये अप्पू! तेरी तरह तेरी बुद्धि भी मोटी हो गयी है तुझे ये नीला रंग नज़र नहीं आता.”

घास के रंग को लेकर दोनों में विवाद बढ़ गया, दोनों मरने-मारने पर उतारू हो गए. अंत में तय हुआ कि जंगल के राजा शेर सिंह के पास जाया जाए और वहीँ निर्णय करेंगे कि कौन गलत है और कौन सही.

डब्लू गधा और अप्पू हाथी शेर के पास पहुंचे.

शेर को देखते ही गधा जोर से बोला, “महाराज आप ही बताइये न इस बेवकूफ को कि घास का रंग नीला होता है हरा नहीं.”

शेर बोला, “ हाँ, डब्लू तुम बिलकुल सही कह रहे हो. घास का रंग नीला ही होता है.”

गधा मुस्कुराया और इतराते हुए हाथी की और इशारा करे हुए बोला, “ सजा दीजिये इस बेवकूफ हाथी को, ताकि ये आगे से ऐसी गलती ना करे.”

शेर बोला, “हम अप्पू हाथी को एक महीने कैद की सजा सुनाते हैं.”हाथी आवाक था.

गधे के जाने के बाद वो बोला, “महाराज क्षमा कीजियेगा, पर मैंने तो घास के रंग को हरा बता कर कोई गलती तो नहीं की थी…फिर ये सजा ?”

शेर बोला-तुम्हे घास के रंग के कारण सजा नहीं मिल रही… तुम्हे इस लिए सजा मिल रही है कि तुम इतने बुद्धिमान जानवर होते हुए भी गधे जैसे मूर्ख प्राणी के साथ बहस में क्यों पड़े…और तो और तुम मेरे पास इस समस्या का हल करने भी चले आये और मेरा भी समय बर्बाद किया… इसीलिए तुम्हे सजा मिली है.