तेनालीराम की सरगम कुश्ती

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एक बार विजय नगर में दूसरे राज्य से एक पहलवान आया और महाराज के दरबार में हाजिर होकर बोला “महाराज यदि आपके राज्य के किसी भी पहलवान ने मुझे हरा दिया तो में जिंदगी भर के लिए उसका गुलाम बन जाऊंगा और यदि मैंने उसे हरा दिया तो आप उसे मेरा गुलाम बना कर मेरे साथ भेज देना”। दूसरे राज्य के पहलवान की यह अजीब सी शर्त सुनकर विजय नगर के सारे पहलवान डर गए, सब सोच रहे थे कि अगर गलती से भी हार गए तो इसकी गुलामी करनी पड़ेगी। महाराज भी पहलवान का इतना अति उत्साह देख कर परेशान हो गए थे, उनको इस बात की चिंता थी की इस बहुत ताक़तवर पहलवान को कौन हरा पाएगा।

हमेशा की तरह इस बार भी राजा की इज्ज़त बचाने के लिए तेनाली आगे आया। तेनाली जानता था कि शारीरिक बल में वो पहलवान के आगे एक मिनट भी नहीं टिक पाएगा लेकिन अपनी बुद्धि की ताकत से वो पहलवान को हरा सकता है। पहलवान को अपने शरीर की ताकत और तेनाली को अपनी बुद्धि की ताकत पर पूरा भरोसा था।

अगले दिन एक सेवादार से कहकर तेनाली ने पहलवान को अपने घर बुलवाया और उसकी बहुत सेवा की। फिर तेनाली बोला “पहलवान जी, हम कुश्ती सरगम में लड़ेंगे”। पहलवान हैरानी से तेनालीराम की और देखने लगा, उसने बहुत कुश्तियाँ लड़ी मगर कभी भी सरगम कुश्ती का नाम तक नहीं सुना था। तभी पहलवान ने सोचा की अगर उसने तेनाली को यह बताया कि वो सरगम कुश्ती के बारे में कुछ भी नहीं जानता तो तेनाली उसे अनपढ़ और बेवक़ूफ़ समझेगा। पहलवान बोला की ठीक है तेनाली जी, इस बार हम सरगम कुश्ती ही लड़ेंगे, वैसे तो यह एक नई कुश्ती है मगर आप चाहते हैं तो फिर ठीक है। यह कह कर तेनाली से विदा लेकर पहलवान अपने ठिकाने पर लौट आया। आते ही उसने अपना सारा सामान बांधना शुरू कर दिया और वो भागने की तैयारी करने लगा। वो सोच रहा था कि पता नहीं ये सरगम कुश्ती क्या बला है, कहीं मेरी बेइज्जती न हो जाए और अगर में हार गया तो मुझे गुलामी भी करनी पड़ेगी। उसी रात पहलवान विजय नगर से चुपके से भाग गया। अगली सुबह कुश्ती देखने वालों की भीड़ मैदान में जमा होने लगी। तेनाली भी निश्चित समय पर कुश्ती के मैदान में पहुँच गया लेकिन पहलवान वहाँ नहीं पहुंचा क्योंकि वो तो पहले ही विजय नगर से भाग चुका था इसलिए तेनाली को ही विजयी घोषित कर दिया गया।

महाराज ने तेनाली से पूछा “अरे तेनाली तुमने पहलवान को पहले ही कैसे भगा दिया” तब तेनाली ने महाराज को सारी बात बताई और सरगम कुश्ती के बारे में भी बताया। महाराज को पहले से ही पूरा भरोसा था कि तेनाली अपनी अक्ल लगा कर जीत जाएगा।