बांग्लादेश में कठोर ईशनिंदा कानून लागू करने की मांग को लेकर राजधानी ढाका के पास कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ हुई पुलिस की झड़प में 37 लोग मारे गए हैं। इन झड़पों के कारण सार्वजनिक रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।नवगठित हिफाजत-ए-इस्लाम ने अपनी 13 सूत्री मांगों के लिए आवामी लीग सरकार पर दबाव बनाने के लिए ढाका की घेरेबंदी की थी। उ…
बांग्लादेश में कठोर ईशनिंदा कानून लागू करने की मांग को लेकर राजधानी ढाका के पास कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ हुई पुलिस की झड़प में 37 लोग मारे गए हैं। इन झड़पों के कारण सार्वजनिक रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।नवगठित हिफाजत-ए-इस्लाम ने अपनी 13 सूत्री मांगों के लिए आवामी लीग सरकार पर दबाव बनाने के लिए ढाका की घेरेबंदी की थी। उनकी मांगों में इस्लाम और पैगंबर का अपमान करने वालों को सजा देने के लिए ईशनिंदा कानून लागू करने की मांग भी शामिल है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने राजधानी और उसके आस पास प्रदर्शन कर रहे करीब 70,000 इस्लामवादियों को रात में तितर-बितर किया है।खबर के अनुसार, पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि कल देर रात और आज सुबह हुई झड़पों में दो पुलिसकर्मी और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) का एक सैनिक मारा गया है। ढाका मेडिकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों की पीट-पीट कर हत्या की गई है। इन परिस्थितियों में फिर से हिंसा भड़कने के डर से ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने शहर के भीतर सार्वजनिक तौर पर रैलियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कट्टरपंथी धर्मगुरू और हिफाजत-ए-इस्लाम के प्रमुख अहमद शैफी को वापस उनके गृहनगर चटगांव भेज दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि इस हिंसा और इन झड़पों में शैफी का ही हाथ है। अस्सी वर्ष से ज्यादा उम्र के शैफी भारत के दरूल उलूम देवबंद के पूर्व छात्र हैं।