महेंद्र सिंह धोनी को भारत का सबसे सफल कप्तान माना जाता है लेकिन टेस्ट खेलने वाले सभी देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैचों में कप्तानी करने का सौरव गांगुली का रिकार्ड शायद वह कभी नहीं तोड़ पाएंगे।धोनी ने आज तक जिम्बाब्वे के खिलाफ कप्तानी नहीं की है। कैप्टन कूल आगामी जिम्बाब्वे दौरे पर भी नहीं जा रहे हैं और इसलिए शायद वह इस देश के खिलाफ कभी टीम की अगुव…
महेंद्र सिंह धोनी को भारत का सबसे सफल कप्तान माना जाता है लेकिन टेस्ट खेलने वाले सभी देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैचों में कप्तानी करने का सौरव गांगुली का रिकार्ड शायद वह कभी नहीं तोड़ पाएंगे।धोनी ने आज तक जिम्बाब्वे के खिलाफ कप्तानी नहीं की है। कैप्टन कूल आगामी जिम्बाब्वे दौरे पर भी नहीं जा रहे हैं और इसलिए शायद वह इस देश के खिलाफ कभी टीम की अगुवाई नहीं कर पाएंगे। असल में धोनी हमेशा जिम्बाब्वे के दौरे पर जाने से बचते रहे हैं। वह केवल एक बार 2005 में गांगुली के नेतृत्व वाली टीम के साथ जिम्बाब्वे गये थे। इससे पहले, भारत 2010 में त्रिकोणीय श्रृंखला खेलने के लिये जिम्बाब्वे दौरे पर गया था। उस समय भी धोनी ने विश्राम लिया था और सुरेश रैना ने टीम की अगुवाई की थी। इस बार धोनी को फिर से विश्राम मिला है और उनकी जगह विराट कोहली को कप्तान बनाया गया है।धोनी एकदिवसीय क्रिकेट में आईसीसी के पूर्णकालिक सदस्यों में से जिम्बाब्वे को छोड़कर बाकी सभी देशों के खिलाफ कप्तानी कर चुके हैं। टेस्ट मैचों में जिम्बाब्वे के अलावा पाकिस्तान के खिलाफ भी धोनी को कप्तानी का मौका नहीं मिला है।गांगुली भारत के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने टेस्ट खेलने वाली सभी देशों के खिलाफ एकदिवसीय और टेस्ट दोनों प्रारूपों में टीम की अगुवाई की है। इसके अलावा वह टेस्ट खेलने वाले सभी दस देशों में टीम का नेतृत्व कर चुके हैं। वनडे में तो उन्हौंने रिकार्ड 14 देशों के खिलाफ कप्तानी की है और 15 देशांे के दर्शकांे ने उनकी कप्तानी का जलवा देखा है।भारत के एक और सफल कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन के समय में बांग्लादेश को टेस्ट दर्जा नहीं मिला था। उन्होंने अपने समय के सभी टेस्ट खेलने वाले देशांे के खिलाफ टीम की अगुवाई की थी। अजहर को हालांकि पाकिस्तानी सरजमीं पर कप्तानी करने का मौका नहीं मिला।राहुल द्रविड़ ने भी वनडे में सभी देशों के खिलाफ कप्तानी की है लेकिन उन्हें जिम्बाब्वे और न्यूजीलैंड के दर्शकांे के सामने अपने नेतृत्वकौशल को दिखाने का मौका नहीं मिला है। सचिन तेंदुलकर ने भी वनडे में बांग्लादेश को छोड़कर बाकी देशों के खिलाफ कप्तानी की है।धोनी को जिम्बाब्वे के खिलाफ कप्तानी का मौका किसी बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ही मिल सकता है क्योंकि भविष्य के दौरा कार्यक्रम (एफटीपी) के हिसाब से भारत को अगले सप्ताह से होने वाले दौरे के बाद अगले तीन साल तक जिम्बाब्वे के खिलाफ कोई मैच नहीं खेलना है।धोनी केवल एक बार जिम्बाब्वे दौरे पर गये हैं। उन्होंने आठ साल पहले 2005 में त्रिकोणीय श्रृंखला में भाग लेने के लिये जिम्बाब्वे दौरा किया था। उस दौरे में उन्होंने पांच मैच में 173 रन बनाये थे। जिम्बाब्वे के खिलाफ उसी दौरे में धोनी ने दो मैच खेले थे। तब से लेकर वह कभी इस देश के खिलाफ नहीं खेल पाये हैं।जहां तक जिम्बाब्वे के दौरे का सवाल है तो बीच में गांगुली के कप्तानी काल को छोड़कर हर बार भारतीय टीम बदले हुए कप्तान के साथ वहां गयी। भारत ने पहली बार 1992 में अजहरूद्दीन की अगुवाई में जिम्बाब्वे दौरा किया था। इसके बाद जब भारतीय टीम 1997 में जिम्बाब्वे गयी तो तेंदुलकर के हाथों में टीम की कमान थी।इसके एक साल बाद 1998 में अजहरूद्दीन को फिर से कप्तानी मिल गयी थी और उनकी अगुवाई में टीम ने जिम्बाब्वे ने तीन वनडे मैच खेले थे। भारत ने गांगुली की कप्तानी में जिम्बाब्वे में 2001 में त्रिकोणीय श्रृंखला, 2003 में आईसीसी विश्व कप और 2005 में फिर से त्रिकोणीय श्रृंखला के मैच खेले थे।भारत इसके बाद 2010 में रैना की अगुवाई में जिम्बाब्वे और श्रीलंका के खिलाफ त्रिकोणीय श्रृंखला खेलने के लिये जिम्बाब्वे गया था। भारत ने वैसे जिम्बाब्वे में अभी तक 20 वनडे मैच खेले हैं जिसमें से 12 में उसे जीत और आठ में हार मिली है। जहां तक जिम्बाब्वे के खिलाफ उसकी सरजमीं पर भारतीय प्रदर्शन का सवाल है तो 12 मैचों में से आठ भारत ने जीते हैं जबकि चार में जिम्बाब्वे को जीत मिली है।