अब घर बैठे करा सकते हैं बीमारियों का इलाज

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ली-टेक और मोबाइल की ख़ूबियों की फ़हरिस्त पहले से ही काफ़ी लंबी है। अब इसमें एक और कड़ी जुड़ गई है, ऑनलाइन डॉक्टर की।

दुनिया भर में अधिक स्थाई स्वास्थ्य प्रणाली की ज़रूरत काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है।

विकसित देशों में बूढ़ी हो रही आबादी को सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने का ख़र्च सारी सीमाएं पार कर चुका है, जबकि विकासशील देशों में संसाधनों की कमी अरबों की आबादी की सेहत के लिए ख़तरा बन गया है।

वैश्विक स्तर पर यदि आकलन करें तो स्वस्थ रहने का ख़र्च प्रतिवर्ष 6.5 खरब डॉलर आंका गया है।

ऐसे में तकनीकी कंपनियों और कई विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल और टेलीहेल्थ तकनीक लोगों की सेहत के लिए वरदान साबित हो रही है।

सलाहकारी संस्था पीडब्ल्यूसी मानती है कि सेहत का ख्याल रखने के लिए मोबाइल हेल्थ या एम-हेल्थ का अधिक इस्तेमाल हो तो साल 2017 तक यूरोपीय संघ 99 अरब डॉलर का बचत कर लेगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से हासिल कुशलता से दो करोड़ 40 लाख अधिक मरीज़ो का इलाज संभव हो सकता है।

सलाहकारी संस्था ‘डी हेल्थ’ के कार्यकारी प्रमुख स्टीवन डोड्सवर्थ ने बताया कि एक्सरसाइज़ लेवल, हार्ट रेट और बर्न्ड कैलोरी मापने और इनका रिकार्ड रखने वाले स्मार्टफ़ोन, वियरेबल गैजेट्स और ऐप्स की लोकप्रियता ख़ूब बढ़ रही है।

दूरसंचार प्रणाली और मोबाइल से इलाज
सैमसंग ने हाल ही में अपना लेटेस्ट वियरेबल प्रोटोटाइप हेल्थ मोनिटर ‘द सिमबैंड’ लॉंच किया है। साथ ही, कंपनी की योजना सेहत से जुड़ी जानकारियों को साझा करने के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म बनाने की है।

मोबाइल की बात करें तो यह लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। जैसे कि पश्चिमी अफ़्रीक़ा के कैमरून में आधी आबादी गांवों में रहती है। यहां प्रति 5,000 की जनसंख्या पर केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है। लेकिन मोबाइल लगभग हर दूसरे व्यक्ति के पास है।

टेलिकंसल्टिंग
दूरदराज़ के इलाक़ों में बसने वाले लोगों के लिए नेटवर्क ऑपरेटर ‘ऑरेंज कैमरून’ ने हाल ही में देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर ‘माई हेल्थलाइन’ नाम से टेलीकंसल्टिंग सेवा शुरू की है।

टेलिकंसल्टिंग सेवा टेक्स्ट मैसेज पर आधारित है।

‘माई हेल्थलाइन’ सेवा मोबाइल फ़ोन यूज़र्स को ये सुविधा देती है कि वे कैमरून के डॉक्टरों और नर्सों से एचआईवी/एड्स जैसे यौन संक्रमण की बीमारियां और गर्भनिरोध सहित सेहत से जुड़ी अपनी सारी जिज्ञासाएं बिना नाम बताए पूछ सकते हैं।

इस सेवा का एक ख़ास पहलू ये है कि यूज़र्स जो भी जानकारी और गोपनीय रिपोर्ट मांगता है, वह उसे घंटे भर के भीतर हासिल हो जाती है।

दूरदराज़ के इलाक़ों में बीमार व्यक्ति के लिए चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की एक और पहल की गई ओहायो के हेल्थस्पॉट के रूप में।

हेल्थस्पॉट ऑफ़िस बिल्डिंग, शॉपिंग सेंटर्स कहीं भी एक बूथ की शक्ल में सेट किया जा सकता है। इसकी मदद से छोटी-मोटी बीमारी में सर्जरी के लिए डॉक्टरों के पास भाग कर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

हेल्थस्पॉट बूथ में हाईडेफिनिशन कैमरा, माइक्रोफोन और वीडियो स्क्रीन होते हैं ताकि मरीज़ और डॉक्टर एक-दूसरे को देख सकेंगे, बातें कर सकेंगे।

बूथ में स्टेथेस्कोप, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर नापने की मशीन होती है जिसका इस्तेमाल मरीज़ डॉक्टर के निर्देश के अनुसार करते हैं। ज़रूरी सूचनाएं डॉक्टर को ऑनलाइन ट्रांसफ़र कर दिए जाते हैं।

इस बूथ की मदद से डॉक्टर का पुर्जा बनाकर इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से फ़ार्मेसी तक भेजा जा सकेगा।

दूरस्थ चिकित्सा
बढ़ती उम्र के लोगों में सेहत से जुड़ी कई ऐसी परेशानियां पैदा हो जाती हैं जो स्थाई होती हैं और जिन्हें नियमित देखभाल की ज़रूरत पड़ती है।

इसका असर ये होता है कि जेनरल प्रैक्टिसनर (जीपी) और अस्पताल के संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है। लोग बेवजह ही कई बार अस्पताल के चक्कर लगाते रहते हैं।

इस परेशानी का हल लेकर आया टेलीकंसल्टेशन।

योर्कशायर के ‘एयरडेल एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट’ ने ‘टेलीकम्यूनिकेशन’ सिस्टम अपनाया है। इस सिस्टम की मदद से वीडियो कांफ्रेंसिंग की मदद से जेल के 14,500 क़ैदियों तक सेहत सुविधाएं पहुंचाई गईं।

इस सिस्टम की शुरूआत मूल रूप से इसलिए की गई थी ताकि क़ैदियों को जेल से अस्पताल पहुंचाने के ख़र्च में कटौती की जा सके। लेकिन अब इसका इस्तेमाल 20 जेलों में बंद क़ैदियों को चौबीसो घंटे परामर्श सुविधा मुहैया करवाने के लिए की जा रही है।

टेलीकंसल्टेशन की मदद से स्थाई रूप से बीमार मरीज़ों का घर पर रहते हुए इलाज किया जा सकता है।

ऐसे ही एक दूसरे उदाहरण में स्पेन के बास्क क्षेत्र में तकनीकी सेवा कंपनी ‘ऐक्सेंटर’ की मदद से टेलीहेल्थ प्रणाली ‘तेकी’ शुरू की गई।

‘तेकी’ में आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसी स्थाई बीमारी से जूझ रहे मरीज़ों के लिए एक्सबॉक्स गेम का इस्तेमाल किया जाता है। इस गेम की मदद से मरीज़ घर में टीवी स्क्रीन पर अपने डॉक्टर और अस्पताल के मेडिकल स्टाफ़ से परामर्श कर सकते हैं।

मरीज़ स्क्रीन पर ऐनिमेटेड अवतार की मदद से ख़ास एक्सरसाइज़ भी कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए ‘काइनेक्ट ट्रैक मूवमेंट’ नाम का एक सॉफ्टवेयर इस बात पर नज़र रखता है कि मरीज़ एक्सरसाइज़ का सही सही अनुसरण कर रहा है, या नहीं। उसी के अनुसार वह ‘थम्प्स अप’ और ‘थम्प्स डाउन’ का संकेत भी देता है।