आर्थिक सुधार वनडे मैच नहीं: पी चिदंबरम

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अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं और रुपये को मजबूत बनाना चाहते हैं तो सोना खरीदना बंद कर दें। यह अपील है वित्तमंत्री पी चिदंबरम की। चिदंबरम के मुताबिक, आर्थिक सुधार कोई क्रिकेट का मैच नहीं जिसमें नतीजा फौरन मिल जाए इसके लिए इंतजार करना पड़ता है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरती सेहत और बढ़ती महंगाई के बीच वित्तमंत्री पी चिदंबरम…

आर्थिक सुधार वनडे मैच नहीं: पी चिदंबरम

अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं और रुपये को मजबूत बनाना चाहते हैं तो सोना खरीदना बंद कर दें। यह अपील है वित्तमंत्री पी चिदंबरम की। चिदंबरम के मुताबिक, आर्थिक सुधार कोई क्रिकेट का मैच नहीं जिसमें नतीजा फौरन मिल जाए इसके लिए इंतजार करना पड़ता है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरती सेहत और बढ़ती महंगाई के बीच वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था का खाका तो पेश किया लेकिन लगे हाथों यह भी कह दिया कि आर्थिक सुधार कोई वनडे मैच नहीं जिसमें हर गेंद पर चौके छक्के की उम्मीद लगाई जाए।

चिदंबरम ने दावा किया कि सरकार की अच्छी नीतियों की वजह से पिछले 9 महीनों में देश की इकॉनमी में खासा सुधार हुआ है और आने वाले वक्त में रुपया भी मजबूत होगा। बशर्ते कि लोग गोल्ड में निवेश करना कम करें यानी सोना कम खरीदें।

चिदंबरम जी चाहते हैं कि लोग सोने में निवेश न करें और इसके लिए वो खुद का भी हवाला दे रहे हैं। लेकिन क्या वाकई चिदंबरम का गोल्ड में निवेश नहीं है। नेशनल इलेक्शन वॉच पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक चिदंबरम ने सिर्फ गोल्ड में ही 8,78, 528 रुपयों का निवेश कर रखा है। बावजूद इसके चिदंबरम चाहते हैं कि लोग सोना ना खरीदें, आखिर क्यों?

तो क्या वित्तमंत्री की यह अपील सिर्फ आम देशवासियों के लिए है। क्या बढ़ती महंगाई और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी सिर्फ जनता की बनती है। आखिर वित्तमंत्री कहना क्या चाहते हैं?