नोटबंदी: रोज बदलते नियमों से लोगों को थोड़ी राहत, थोड़ी शिकायत

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पहले मुनाफे पर इनकम टैक्स में 2% की राहत और फिर केवाईसी होने पर 30 दिसंबर तक 5000 रुपये से ज्यादा के पुराने नोट जमा कराने पर पूछताछ का आदेश वापस लिए जाने से व्यापारी राहत महसूस कर रहे हैं. नोटबंदी की मार पर थोड़ा मरहम ही सही, लेकिन छोटे दुकानदार और मजदूर डिजिटल पेमेंट सिस्टम से फिलहाल थोड़ा सहमे हुए और परेशान हैं.

कई फैक्टियां सूनी, घर लौट गए मजदूर
दिल्ली के सीलमपुर इलाके में जैकेट और जींस की फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों की तादाद वैसे ही काफी कम हो गई है. नोटबंदी की मार का असर यहां भी है. फैक्टरियां सूनी हैं. बिहार, बंगाल और ओडिशा के मजदूर अपने घर लौट गए हैं. इक्का दुक्का जो बचे हैं, उनका कहना है कि कैश ही मिल जाय तो बेहतर होगा.

सैलरी कैश में ही मिले तो बेहतर
जींस की सिलाई करने वाले 32 साल के इरशाद कहते हैं कि बैंकों और एटीएम की दशा तो आप देख ही रहे हैं. ऐसे में हम चैक से या खाते में तनख्वाह डलवाकर यहां काम करें या बैंकों की लाइन में खड़े होकर दो हजार रुपये निकालें. हमारी ये परेशानी तो सरकार समझती नहीं. ऐसे ही एक अन्य मजदूर रहमान का भी कहना है कि उनका बैंक खाता नहीं है. वह बिहार के एक गांव से हैं. खाता खुलवाने के लिए बैंक वाले कई कागजात मांगते हैं. हमारे पास वह नहीं हैं. हम इस झंझट में भी नहीं पड़ना चाहते.

जींस पैंट का कारखाना चलाने वाले शफीक कहते है कि सैलरी खाते में जाय या कैश में, यह तो तब तय होगा जब मजदूर काम कर पाएंगे. यहां तो कारखाने ही बंद हो रहे हैं. पहले काम तो चालू हो. ये पचास दिन कब पूरे होंगे. और उसके बाद की क्या गारंटी है कि कोई नया बखेरा ना होगा.

नोटबंदी से खुश भी हैं कुछ कारोबारी
वहीं करोलबाग में जेनेरिक दवा बनाने का कारखाना चलाने वाले दवा कारोबारी उमेश विजय नोटबंदी के कदम से खुश है. उनका कहना है कि सरकार का कदम बहुत बेहतरीन है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को आयकर के दायरे में लाने या फिर ज्यादा से ज्यादा कारोबार डिजिटल करने के फायदे एक-दो साल में सामने आएंगे. हालांकि इसके साथ ही सरकार से वह सवाल करते हुए कहते हैं, ‘हम तो चाहते हैं कि सारा काम एक नंबर में हो, लेकिन इसके लिए क्या सरकार इंसपेक्टर राज खत्म करने को तैयार है. राजनीतिक दलों को आयकर के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा. उनको भी उतनी ही सख्ती से गुजरना चाहिए.’

सरकार को व्यापारियों के कुछ सुझाव
अब तो व्यापारी भी सरकार को सुझाव देने लगे हैं कि अगर सब कुछ डिजिटल और लूप प्रूफ करना है तो क्या किया जाना चाहिए. उमेश कहते हैं कि शराब की दुकानों पर सिर्फ कार्ड से या डिजिटल पेमेंट को अनिवार्य कर देना चाहिए. इससे आम और खास सबको एक साथ डिजिटल ट्रेनिंग मिल जाएगी. साथ ही पहले मजबूरी से बढ़ा कदम बाद में जरूरी हो जाएगा.

सरकार ने नोटबंदी के बाद इन डेढ़ महीनों में पुराने नोटों को लेकर नियम में कई बार बदलाव किए हैं. इसके साथ ही अंदेशा है कि सरकार आगे भी इस साल के खत्म होने तक कुछ और बदलाव ला सकती है. जनता भी इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार दिख रही है.