प्याज के दाम पिछले कुछ दिनों में आसमान पर पहुंच गए हैं, ऐसे में सरकार अब दाम में बढ़ोत्तरी पर काबू पाने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। अगर अगले कुछ दिनों में प्याज के दाम और बढ़े तो निर्यात पर रोक लगना तय है, क्योंकि कांग्रेस सरकार प्याज के आंसू नहीं रोना चाहती।
दरअसल, प्याज के दाम में बढ़ोत्तरी से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़न…
प्याज के दाम पिछले कुछ दिनों में आसमान पर पहुंच गए हैं, ऐसे में सरकार अब दाम में बढ़ोत्तरी पर काबू पाने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। अगर अगले कुछ दिनों में प्याज के दाम और बढ़े तो निर्यात पर रोक लगना तय है, क्योंकि कांग्रेस सरकार प्याज के आंसू नहीं रोना चाहती।
दरअसल, प्याज के दाम में बढ़ोत्तरी से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के साथ निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है। सरकार से जुड़े एक सीनियर ऑफिसर ने बताया, ‘हमारी प्याज के दामों पर करीबी निगाह हैं, कीमतों पर काबू पाने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में कुछ समय के लिए प्यास के निर्यात सहित विभिन्न विकल्पों के बारे में विचार-विमर्श किया जा रहा है।’
बता दें कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले प्याज का थोक और खुदरा दाम अधिकांश बाजारों में पिछले कुछ सप्ताह में तेजी से बढ़ा है। इसका कारण महाराष्ट्र जैसे उत्पादक राज्यों में भारी बरसात के बाद आपूर्ति संबंधी दिक्कतें बताई गई हैं। दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 30-40 रुपए प्रति किग्रा है, जबकि एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासालगांव में थोक मूल्य बढ़कर 25 रुपए प्रति किग्रा हो गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत ने चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में 776.47 करोड़ रुपए मूल्य के 5,11,616 टन प्याज का निर्यात किया है जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 5,17,274 टन रहा था।
दिल्ली में प्यास की वजह से सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था, ऐसे में मौजूदा शीला दीक्षित की सरकार इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। फिर इस साल दिल्ली में विधानसभा के चुनाव भी है। उधर बीजेपी पहले ही दिल्ली सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेर रही है। ऐसे में प्यार की कीमतों को किसी भी तरह मौजूदा सरकार को नियंत्रण में लाना ही होगा।
अगर प्यार की कीमत नियंत्रण में नहीं आती है, तो अगामी लोकसभा चुवान पर भी इसका काफी असर पड़ेगा, क्योंकि प्यार के दाम अगर ऐसे ही बढ़ते रहे तो मुद्रा स्फीति का बढ़ना तय है।