सोने की चमक उड़ी, दाम जमीन पर

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बहुमूल्य धातु सोना अब अपनी चमक खो रहा है. बाजार में लगातार उसकी मांग गिरती जा रही और साथ ही दाम. हालत यह है कि निवेश के मकसद से सोना खरीदने वालों ने उसका साथ छोड़ दिया है.

भारत सोने का दुनिया का दूसरे नंबर का खरीदार है. कुछ साल पहले तक यह नंबर एक था लेकिन सोने के दाम तेजी से बढ़ने के बाद यहां खरीदारी घटी और चीन ने पहला स्थान ले लिया. इस जून की तिमाही में भारत में महज 49.6 टन सोने का आयात हुआ जो बहुत कम है. लेकिन अब सोने के खरीदार तेजी से घटते जा रहे हैं. लोग निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और शेयरों का सहारा ले रहे हैं. शेयर बाजारों में रिकॉर्ड तेजी के कारण सोने के निवेशक फिलहाल उधर चले गए हैं. नरेंद्र मोदी के आने की संभावना से शेयर बाजार जो बढ़ने शुरू हुए वे आज तक बढ़ते जा रहे हैं. समझा जाता है कि बीएसई सेंसेक्स 30,000 तक चला जाएगा. जाहिर है इसमें बढ़िया संभावना देखकर लोग उधर निवेश कर रहे हैं.

बैंकों में एफडी पर आकर्षक ब्याज मिलने से लोग उधर भी आकर्षित हो रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को एकाउंट खोलने के लिए प्रेरित कर रही है. पीएम मोदी चाहते हैं कि हर भारतीय के पास बैंक एकाउंट हो. इससे लोग बैंकों की ओर खिंच रहे हैं.

सोने की कीमतें 2013 में सबसे ज्यादा रही और अगस्त महीने में तो यह 35,074 रुपए प्रति दस ग्राम पर चला गया था. लेकिन उसके बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई. अब यह 27,000 रुपए प्रति दस ग्राम से भी नीचे जा पहुंची है. अब इसके बहुत ऊपर जाने की संभावना भी नहीं दिख रही है. ऑल इंडिया बुलियन ऐंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि 11 वर्षों की तेजी के बाद अब सोने के दाम गिरने लगे हैं और सोने के बारे में यह धारणा कि उसकी कीमतें बढ़ती जाएंगी, ध्वस्त हो गई है.

कोठारी ने कहा कि अब लोग कई माध्यमों में निवेश कर रहे हैं और यह प्रवृत्ति‍ जारी रहेगी. अभी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है. दरअसल सोने में लोग ज्यादा निवेश तभी करते हैं जब अनिश्चितता होती है. अब उसके बादल छंट गए हैं. इससे स्टॉक मार्केट और रियल एस्टेट कीमतें बढ़ेंगी.