इस शुक्रवार को ‘आई लव एनवाई’ , ‘मेरे जिनी अंकल , ‘थोड़ा लुत्फ़ थोड़ा इश्क’ और दक्षिण भारत की ‘बाहुबली’ मूल संस्करण के साथ हिंदी में प्रदर्शित हो रही है। फिल्मो की इस भीड़ में हकीकत तो ये है कि ‘बाहुबली’ को छोड़ बाकी की फिल्मो का कोई औचित्य नहीं है।
अगले शुक्रवार को ईद पर सलमान खान की ‘बजरंगी भाईजान’ आनी है और ऐसे में यह सप्ताह बॉक्स ऑफिस पर तूफान के पहले की शांति के समय का है। ‘बाहुबली’ से उद्योग और दर्शको को बहुत ज्यादा उम्मीदे इसलिए भी हैं कि उसके निर्देशक राजामौली ने लगातार 9 सफल फिल्मे बनायीं हैं।
फिल्म का बजट 130 करोड़ का है और प्रस्तुतकर्ता के रूप में हिंदी संस्करण के लिए करण जौहर इस फिल्म से जुड़े हुए हैं। आज प्रदर्शन के पूर्व बड़ी से बड़ी फिल्म के सैटेलाइट टीवी अधिकार नहीं बिक रहे हैं ऐसे में ‘बाहुबली’के हिंदी संस्करण के टीवी अधिकार 20 करोड़ में बेचे जा चुके हैं।
टीवी पर परंपरागत मसाला फिल्मो को देखने वाले दर्शक बहुत ज्यादा हैं इसीलिए बाहुबली को इतनी बड़ी राशि मिल पायी। टीवी पर ज्यादा दर्शक मिलने वाली फिल्मो का अध्य्यन किया जाये तो यह बहुत स्पष्ट है कि ‘थाली मनोरंजन’ परोसने वाली फिल्मे दर्शको की मांग पर टीवी पर बार बार दिखाई जाती हैं।
भारत के हर प्रान्त में ‘थाली भोजन’ परोसा जाता है जिसमे दाल-भात,सब्जी रोटी पापड़ और अचार सही अनुपात में उपलब्ध होते हैं। उद्योग में ‘थाली मनोरंजन’ फिल्मे उन्हें कहा जाता है जिसमे मनोरंजन के सभी मसाले सही मात्रा में उपलब्ध हो।
पिछले दो वर्ष में प्रदर्शित फिल्मो में से ‘रमैया वस्तावैया’ टीवी पर सुपर हिट सिद्ध हुई है और यह फिल्म लगभग हर सप्ताह टीवी पर दिखाई जाती है। जनवरी में प्रदर्शित दक्षिण भारतीय फिल्म ‘आई’ के हिंदी संस्करण को पिछले सप्ताह टीवी पर दिखाया गया और उसकी टीआरपी इतनी जबरदस्त है कि हिंदी फिल्मो के कई बड़े सितारे और निर्देशकों को शर्म से अपना सर झुका लेना चाहिए।
भारत में मसाला फिल्मो के दर्शक लुप्त नहीं हुए हैं बल्कि वे प्रसुप्त ज्वालामुखी की तरह हैं क्यूंकि छोटे शहरों में सिनेमाघर की संख्या पिछले दो दशक में लगातार कम हुई थी। अब फिर से हर छोटे बड़े शहरों में लगातार सिनेमाघर बन रहे हैं। यदि राज्य सरकार इन्हे प्रोत्साहित करे तो फिर से ‘थाली मनोरंजन सिनेमा’ देखने वाले दर्शक की ताकत का सही एहसास हो सकेगा।