चर्चित फिल्मकार रमेश सिप्पी अपनी महान फिल्म शोले का अंत जिस तरह से हुआ उससे खुश नहीं थे और वास्तविक दृश्य में हिंसा पर सेंसर बोर्ड द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद वे फिल्म के क्लाइमेक्स को फिर से शूट करना चाह रहे थे।सिनेमा में गाली और पर्दे पर हिंसा को लेकर हुई एक चर्चा में हिस्सा लेते हुये सिप्पी ने इस बात पर सहमति जताई कि फिल्मों में हिंसा को दिख…
चर्चित फिल्मकार रमेश सिप्पी अपनी महान फिल्म शोले का अंत जिस तरह से हुआ उससे खुश नहीं थे और वास्तविक दृश्य में हिंसा पर सेंसर बोर्ड द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद वे फिल्म के क्लाइमेक्स को फिर से शूट करना चाह रहे थे।सिनेमा में गाली और पर्दे पर हिंसा को लेकर हुई एक चर्चा में हिस्सा लेते हुये सिप्पी ने इस बात पर सहमति जताई कि फिल्मों में हिंसा को दिखाते समय फिल्मकारों की एक जिम्मेदारी होती है लेकिन साथ ही कहा कि वर्ष 1975 में आई शोले के क्लाइमेक्स की फिर से शूटिंग कर वह खुश नहीं थे।उन्होंने कहा, हम में से ज्यादातर लोग यह तथ्य नहीं जानते हैं कि शोले का क्लाइमेक्स का सुझाव वास्तव में केंद्रीय प्रमाणन बोर्ड ने दिया था क्योंकि उन्होंने पाया कि पर्दे पर इसे दिखाने के लिहाज से बहुत ज्यादा हिंसा है।सिप्पी ने आगे कहा, मुझे पूरे दृश्य का फिर से फिल्मांकन करना पड़ा और इसे वैसा बनाना पड़ा जैसाकि वे चाहते थे। लेकिन एक फिल्मकार के रूप में मैं फिल्म के अंत से खुश नहीं था।