लंदन। कैंसर जैसे रोगों से मुकाबले की दृष्टि से ‘विष से विष निकालने की पद्धति’ को बहुत अधिक संभावना के साथ देखा जा रहा था लेकिन एक नए अध्ययन में इस बात को लेकर आगाह किया गया है कि इससे संक्रमण और मारक रूप ले सकता है और इस पद्धति का विपरीत असर संभव है।
ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि बीमारी पैदा करने वाले रोगाणुओं में कम शक्ति के ‘दोस्ताना’ सूक्ष्म अणु को प्रविष्ट कराने से रोग की गंभीरता में इजाफा हो सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने दिखाया है कि किसी रोग को कमजोर करने की कोशिश की बजाय कम क्षमता के रोगाणुओं का प्रविष्ट कराना रोग को ठीक करने की पद्धति को नुकसान पहुंचा सकता है। अब तक ऐसी मान्यता थी कि कम मारक क्षमता के दोस्तान रोगाणुओं को रोगजनकों में प्रविष्ट कराने से रोग की गंभीरता को कम करने और रोगाणुओं को कमजोर बनाने में मदद मिलती है।
इसको लेकर अब तक माना जाता रहा है कि ऐसी पद्धति कैंसर के उपचार में प्रभावी साबित हो सकती है और अभी तक के अनुसंधान में इसको लेकर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे।
अनुसंधानकर्ताओं ने हालांकि वनस्पति रोगाणु के इस्तेमाल के जरिए इस तकनीक की जांच की और पाया कि यह उपचार पद्धति नाटकीय रूप से गलत साबित हो सकती है और इसके विनाशकारी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस अध्ययन का प्रकाशन ‘ईलाइफ’ जर्नल में किया गया है।