आजम और अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

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इलाहाबाद/मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पुलिसकर्मियों के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण के मामले में सरकार घिर गई है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और कैबिनेट मंत्री आजम खां को सोमवार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब-तलब किया है।

तबादलों पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि सात सितंबर से अब तक कितने पुलिसवालों के तबादले किए गए और तबादले की वजह क्या है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि इतनी जल्दबाजी में तबादले कैसे किए गए।

हाईकोर्ट ने पुलिस स्थापना बोर्ड से भी स्थानांतरण से संबंधित सभी कागजात और बोर्ड की बैठक का ब्योरा मांगा है। जवाब एडीजी स्तर के अधिकारी की ओर से हलफनामा के माध्यम से देना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सोमवार को सुनवाई करते हुए दिया। अगली सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी।

पंकज कुमार और छह अन्य पुलिसकर्मियों की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद मंत्री आजम खां के इशारे पर जाट जाति के पुलिसकर्मियों का तबादला किया जा रहा है। तबादले गलत नीयत से और भेदभावपूर्ण किए गए हैं।

आदेश जारी करने में नियमों की अनदेखी की गई। याचिका करने वाले पुलिसकर्मियों पंकज कुमार को चित्रकूट, रोहित कुमार को बांदा, पंकज कुमार (द्वितीय) को बस्ती, विवेक तोमर को हमीरपुर, सोहनवीर सिंह को हमीरपुर और रोहित कुमार (द्वितीय) को प्रतापगढ़ भेज दिया गया।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तबादलों पर रोक लगाते हुए कहा है कि पुलिसकर्मियों को वेतन मुजफ्फरनगर से ही दिया जाए।

प्रदेश सरकार की सफाई
तबादले एसएसपी मुजफ्फरनगर के 13 सितंबर के पत्र के आधार पर किए गए हैं। आईजी स्थापना से प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण की संस्तुति की गई थी। कोर्ट में एसएसपी मुजफ्फरनगर और डीआईजी स्थापना पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पत्र की प्रति प्रस्तुत की गई।

एक दिन में संस्तुति और तबादले
याचियों के अधिवक्ता विजय गौतम ने कहा कि 13 सितंबर को स्थानांतरण की संस्तुति की गई और उसी दिन स्थानांतरण का प्रस्ताव तैयार हो गया। उसी दिन स्थापना बोर्ड ने निर्णय लेते हुए तबादले का आदेश जारी कर दिया। याचियों की ओर से समाचार पत्रों की कटिंग भी कोर्ट में पेश की गई।