उत्तराखंड में अतिवृष्टि और बाढ़ के चलते बने हालात में फंसे हुए लोगों को बचाने और राहत कार्यों में बादल छंटने के साथ ही तेजी आ गई है, जहां हजारों तीर्थयात्री अब भी फंसे हुए हैं। इस आपदा ने 150 लोगों की जान ले ली है और पांच हजार लोग अभी तक लापता है। ये लापता लोग या तो सैलाब के साथ बह गए या फिर मलबे में दबे हुए हैं।
बुधवार को बारिश थमी और बादल छंटे इसक…
उत्तराखंड में अतिवृष्टि और बाढ़ के चलते बने हालात में फंसे हुए लोगों को बचाने और राहत कार्यों में बादल छंटने के साथ ही तेजी आ गई है, जहां हजारों तीर्थयात्री अब भी फंसे हुए हैं। इस आपदा ने 150 लोगों की जान ले ली है और पांच हजार लोग अभी तक लापता है। ये लापता लोग या तो सैलाब के साथ बह गए या फिर मलबे में दबे हुए हैं।
बुधवार को बारिश थमी और बादल छंटे इसके बाद तबाही का वो मंजर देखने को मिला, जिससे सभी सहम गए। खबरों के अनुसार केदारनाथ मंदिर के आसपास भारी तबाही का मंजर देखा गया, लेकिन मंदिर सुरक्षित है। यहां भूस्खलन और बारिश के कारण करीब 50 लोगों की मौत हो गयी। पिछले दो दिन में बारिश में थोड़ी कमी आने के बाद भूस्खलन और बाढ़ की कोई ताजा घटना नहीं घटी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा किया वहीं केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने भी अलग से इस तरह का निरीक्षण किया। उत्तराखंड के प्रधान सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य में इस आपदा की स्थिति में मृतकों की संख्या 150 तक पहुंच गई है, लेकिन हताहतों की बिल्कुल सही संख्या बता पाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि चमोली और रद्रप्रयाग जिलों के अनेक गांवों में कई क्षेत्र पानी में डूबे हैं।
उधर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य में हुई तबाही और मृतकों के बारे में बिल्कुल सही आकलन अभी संभव नहीं है, लेकिन राज्य में इस तरह के हालात अभूतपूर्व हैं। उन्होंने केदारनाथ में बादल फटने की घटना को हिमालयी सुनामी करार देते हुए कहा कि इसके प्रकोप के बाद केदारनाथ तक सड़क मार्ग को सामान्य करने में एक साल लग जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को और खासकर देश के अनेक भागों से आये तीर्थयात्रियों को बचाने की, उन्हें दवाइयां पहुंचाने की और प्रभावितों को मुआवजा देने की होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की आशंका है। बिजली के खंभे गिर गये हैं और अनेक सड़कें तबाह हो गई हैं। गौरीकुंड में 5,000 लोग फंसे हैं।
अब कई जगहों पर मौसम साफ होने के साथ फंसे हुए लोगों को बचाने का काम तेजी से चलाया जा रहा है। बद्रीनाथ में फंसे हुए 12,000 लोगों को भी निकालने के प्रयास जारी हैं। चमोली जिले से 1,500 तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को बचाया गया वहीं रद्रप्रयाग में फंसे 1,200 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला गया। अधिकारियों ने कहा कि लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है, क्योंकि शवों को निकालने का काम बाद में किया जा सकता है। पीडि़तों की मदद के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने नयी दिल्ली में बताया कि गौरीकुंड में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है वहीं बद्रीनाथ में नियंत्रण-कक्ष बनाया गया है। शिंदे ने कहा, ”राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 540 जवानों के 14 दलों को उत्तराखंड में तैनात किया गया है। उत्तराखंड में 62,790 लोग फंसे हुए हैं। 5,000 लोगों को सेना ने बचा लिया है।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बुधवार को दूसरे दिन बचाव कार्य जारी रहा। यहां राज्य सरकार का एक और वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर जिले में और पास के स्पीति के कजा इलाके से फंसे हुए लोगों को निकालने के काम में लगे हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव (गृह) तरण श्रीधर ने कहा, ”अनेक स्थानों पर फंसे हुए लोगों की सही-सही संख्या नहीं पता है लेकिन पर्यटकों और बुजुर्ग तथा अस्वस्थ लोगों को पहले निकालना प्राथमिकता में है।”
उधर आईटीबीपी के महानिदेशक अजय चड्ढा ने कहा कि बचाये हुए लोगों की सही-सही संख्या बता पाना मुश्किल है, क्योंकि राहत कार्यों में कई एजेंसियां लगी हुई हैं।