कर्नाटक में बीजेपी की हालत देखकर तो यही कहा जा सकता है पार्टी ने खुदकुशी कर ली। महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी हर मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है पर कर्नाटक में बीजेपी इसे भुना नहीं पाई। अन्तर्कलह से जूझ रही बीजेपी ने बड़ी आसानी से सरेंडर कर दिया। 2008 चुनाव के मुकाबले पार्टी की सीटें एक तिहाई रह गई है।
रुझानों के मुताबिक महज 38…
कर्नाटक में बीजेपी की हालत देखकर तो यही कहा जा सकता है पार्टी ने खुदकुशी कर ली। महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी हर मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है पर कर्नाटक में बीजेपी इसे भुना नहीं पाई। अन्तर्कलह से जूझ रही बीजेपी ने बड़ी आसानी से सरेंडर कर दिया। 2008 चुनाव के मुकाबले पार्टी की सीटें एक तिहाई रह गई है।
रुझानों के मुताबिक महज 38 सीटों पर पार्टी आगे चल रही है। पार्टी को येदियुरप्पा ने भी तगड़ा झटका दिया है। येदियुरप्पा भले ही 14 सीटों पर सिमटते नजर आ रहे हों लेकिन उन्होंने एक बड़े वोट बैंक में सेंध लगाई है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को पहुंचा है।
कांग्रेस जश्न मना रही है और उसके लिए जश्न बनता भी है। आखिर उसने दक्षिण में बीजेपी का दरवाजा जो बंद कर दिया है। पार्टी रुझानों में सौ के आंकड़े को पार कर चुकी है और अब उसकी सरकार का रास्ता साफ है लेकिन दोपहर बाद शायद पार्टी की यह खुशी काफूर भी हो जाए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में कानून मंत्री को लेकर कोई सख्त फैसला आ सकता है। कोल घोटाले पर बनी रिपोर्ट बदलवाने के मामले में देश की बड़ी अदालत का फैसला शायद ही कांग्रेस के मुफीद आए।
कर्नाटक के नतीजे आ गए। कहीं जश्न है तो कहीं मातम का मौहाल। कांग्रेस कर्नाटक में विनर बनकर उभरी है और इसकी उम्मीद भी की जा रही थी। वहीं बीजेपी भी पहले से लगाई जा रही उम्मीदों के मुताबिक लूजर रही है। उसके हाथ से कर्नाटक की कुर्सी फिसल गई है। लेकिन राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को काफी हद तक झुठलाते हुए जेडीएस ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। कुमारस्वामी आंकड़ों में बीजेपी से आगे निकल गए। वहीं येदियुरप्पा खुद हारकर बीजेपी की खटिया खड़ी करने में कामयाब रहे। इस लिहाज से कह सकते हैं कि येदियुरप्पा ने बीजेपी के लिए डिस्ट्रॉयर की भूमिका निभाई है।