इमालवा – अलीगढ़ । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी [एएमयू] में छात्राओं की मनपसंद कपड़े पहनने की आजादी छिनने जा रही है। कुलपति जमीर उद्दीन शाह ने शनिवार को यूनिवर्सिटी की गौरवशाली परंपराओं का हवाला देते हुए शालीन लिबास पहनने की हिदायत दी है। वीसी ने अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करके साफ किया है कि छात्राएं अब कैंपस में जीन्स और टी-शर्ट नहीं पहन पाएंगी।
खुले पत्र में एक जिम्मेदार ‘अभिभावक’ के रूप में पेश आए वीसी ने छात्राओं पर ‘बेटी-सा’ हक जताया है। लिखा है, ‘मैं अपनी ‘पुत्रियों’ से आग्रह करता हूं कि वह विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपराओं के अनुरूप लिबास पहनें।’ यूनिवर्सिटी में मुस्लिम परंपराओं के अनुसार सूट-सलवार या फिर बुर्के का ही चलन है। वीसी ने क्या पहनें और क्या नहीं? इसपर कुछ नहीं कहा। लेकिन, उनका इशारा इन्हीं चीजों के पहनने पर है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षो में कैंपस में जीन्स और टी-शर्ट पहनने का चलन तेजी से बढ़ा है।
शेरवानी पहनने पर ही मिलेंगे वीसी
कुलपति ने सिर्फ छात्राओं को ही रवायत का पाठ नहीं पढ़ाया। छात्रों को भी एएमयू की गरिमा की याद दिलाई है। वीसी ने साफ किया है कि अब वो छात्रों से तभी मिलेंगे, जब वो शेरवानी पहने होंगे। एएमयू में शेरवानी पहनने की खास रवायत है। वीसी ने खुले पत्र में यहां तक कहा है कि शेरवानी नहीं है तो छात्र किसी दोस्त से उधार मांग लें। विवि के कार्यक्रमों में भी छात्रों को शेरवानी पहननी अनिवार्य होगी। वीसी ने छात्रसंघ नेताओं को हर जुमे (शुक्रवार) दोपहर तीन से चार बजे तक वीसी कमेटी रूम में मिलने का वक्त मुकर्रर किया है। अन्य विद्यार्थी इसी रोज शाम चार से पांच बजे तक मिल सकते हैं।
कैंपस को ईको-फ्रेंडली और अपराध-मुक्त बनाने के लिए वीसी ने 12 अगस्त से शुरू हो रहे नए सत्र से छात्रों के बाइक रखने पर पाबंदी लगा दी है। ये पाबंदी उन छात्रों पर होगी, जो आवासीय हॉल में रहते हैं। वीसी का तर्क है कि जो छात्र बाइक रख सकते हैं, वो किराए पर रहने का खर्च भी उठा सकते हैं। वीसी का मानना है कि कैंपस में बाइकर्स गैंग सक्रिय है, जो दूसरी घटनाएं भी कर रहा है। बाइक नहीं आएगी तो अपराध भी रुकेगा। छात्र साइकिल से या पैदल चलेंगे तो स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। प्रदूषण के साथ गरीबी-अमीरी का भेदभाव भी खत्म होगा। बाइक न दिलाने के लिए वीसी अभिभावकों को पत्र भी लिखने जा रहे हैं।