इमालवा – बेंगलुरु । बगैर शोर-शराबे के सरकार ने पिछले महीने एक प्रॉजेक्ट की शुरुआत की, जिससे उसे देश के पूरे टेलिकम्यूनिकेशन नेटवर्क का ऐक्सेस मिल जाएगा। इसमें ऑनलाइन ऐक्टिविटी, फोन कॉल्स, टेक्स्ट मेसेज और यहां तक कि सोशल मीडिया भी शामिल है। इसे सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम का नाम दिया गया है। यह ऐसी सिंगल विंडो होगी, जिसके जरिए नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी या टैक्स अथॉरिटीज जैसी सरकारी एजेंसियां हर तरह के कम्यूनिकेशंस पर एक जगह से नजर रख सकेंगी।
इससे प्राइवेसी और इंटरनेट फ्रीडम ऐक्टिविस्ट्स फिक्रमंद हैं। उन्हें डर है कि सिक्युरिटी के नाम पर सरकार लोगों की जासूसी कर सकती है। यह इस सिस्टम का बेजा इस्तेमाल होगा। आम लोग इसका निशाना बन सकते हैं। बेंगलुरु बेस्ड थिंकटैंक सेंटर फॉर इंटरनेट ऐंड सोसायटी में पॉलिसी डायरेक्टर प्रणेश प्रकाश ने चेतावनी दी, ‘स्ट्रॉन्ग प्राइवेसी लॉ से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है। इससे पता चलता है कि सर्विलांस की जरूरत है या नहीं। इस तरह का कानून देश में नहीं है। ऐसे में सरकार का यह कदम परेशान करने वाला है।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम पर न ही सार्वजनिक बहस हुई है और ना ही इस पर संसद में चर्चा की गई है। इसका मतलब यह है कि सरकार इस मामले में नागरिकों के प्रति अपनी जवाबदेही से बच रही है।’
साल 2000 में इंफर्मेशन टेक्नॉलजी लॉ लाया गया था। इसमें 2008 और 2011 में संशोधन हुआ। इससे सरकारी अफसरों को फोन कॉल्स सुनने, टेक्स्ट मेसेज पढ़ने, ईमेल और वेबसाइट मॉनिटर करने का अधिकार मिला।
इस बारे में साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा, ‘सरकार ने देशवासियों के प्राइवेट इंटरनेट रेकॉर्ड्स को मॉनिटर करने के लिए अप्रत्याशित अधिकार हासिल कर लिए हैं। इनका गलत इस्तेमाल हो सकता है।’
सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलिमेटिक्स इस मॉनिटरिंग सिस्टम को तैयार कर रहा है। इसे टेलिकॉम कंपनियों के इक्विपमेंट से जोड़ा जाएगा, जिससे सरकारी एजेंसियों को कॉल रेकॉर्ड्स, टेक्स्ट मेसेज और ईमेल सहित किसी शख्स की लोकेशन के बारे में एक जगह जानकारी मिल जाएगी।