नागपुर : देश में विशेषतौर पर केरल और तमिलनाडु में जिहादी गतिविधियों के बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुक्रवार को कहा कि देश को अभी भी ऐसी प्रभावी नीति का इंतजार है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष खड़े ऐसे खतरों पर लगाम लगा सके।
संघ कार्यकर्ताओं को वाषिर्क विजयादशमी संबोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि चरमपंथी संगठन देश की आंतरिक राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। भागवत ने कहा कि दक्षिण तट (केरल और तमिलनाडु) से दुर्लभ खनिजों की तस्करी में कोई प्रत्यक्ष कमी नजर नहीं आ रही है। विशेष समुदाय के लोगों के अवैध रूप से आने के कारण पश्चिम बंगाल और केरल में जनसंख्या असंतुलन पैदा हो रहा है। इन राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी ‘करीब करीब आत्मसमर्पण की नीति’ अपना चुकी हैं और इसके कारण स्थानीय आबादी के लिए जीवन को गंभीर खतरे के साथ ही कानून व्यवस्था एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष भी चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सरसंघचालक ने कहा कि देश को अभी भी केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त योजना के प्रभाव सामने आने का इंतजार है जो इन जिहादी और नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी लगाम लगा सके। भागवत ने कहा कि सामाजिक स्थिति के कारण गरीबों का शोषण होता है और विकास के अभाव से अंतत: नक्सलियों को गरीब युवकों को भर्ती करने में मदद मिलती है। सरसंघचालक ने उन लोगों की आलोचना की जो अप्रवासियों को राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करने में मदद पहुंचाते हैं।