नागपुर में आरएसएस के समर्थन से संपन्न तीन दिवसीय धर्म संस्कृति महाकुंभ ‘हिंदू बचाओ’ आह्वान के साथ संपन्न हुआ. इसमें ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने हिंदुओं से आह्वान किया कि वे दस बच्चे पैदा करें और अपने समुदाय की संख्या को बढ़ाएं. संत समाज ने एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाने और गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने का भी आह्वान किया. इस दौरान मंच पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित थे.
खबर के अनुसार संस्कृति महाकुंभ को संबोधित करते हुए ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि प्रत्येक हिंदू को कम से कम दस बच्चे पैदा करने चाहिए. शंकराचार्य ने कहा, ‘दो बच्चों के नियम को भूल जाएं. दस बच्चे पैदा करें. यह चिंता न करें कि उन्हें कौन पालेगा, भगवान आपके बच्चों की देखभाल करेंगे. हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ाने की जरूरत है.’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आह्वान किया कि जैसे उन्होंने नोटबंदी पर रातोरात फैसला लिया है, उसी तरह गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के मामले में भी निर्णय लें.
इस मंच पर विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया भी मौजूद थे, जिन्हें नरेंद्र मोदी ने अलग-थलग कर दिया है. काफी दिनों के बाद मोहन भागवत और तोगड़िया एक साथ मंच पर देखे गए. इस धर्म संस्कृति महाकुंभ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, असम के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित, नागपुर के मेयर प्रवीण दातके भी शामिल हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तोगड़िया ने अपनी चिर परिचित शैली में कहा, ‘हिंदुओं से रात बजे लाउडस्पीकर बंद करने के लिए कहा जाता है, जबकि वे (मुसलमान) सुबह पांच बजे भी तेज आवाज में अजान दे सकते हैं. यदि सरकार मंदिरों पर अपना शासन करती है तो मस्जिदों पर क्यों नहीं करती?’ उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अब भी एक सपना बना हुआ है. उन्होंने कहा, ‘हिंदू अपने ही देश में तेजी से अल्पसंख्यक बनते जा रहे हैं. कश्मीर के अलावा अब तो उन्हें मेरठ, मुरादाबाद, केरल जैसी जगहों से भी पलायन करना पड़ रहा है. हिंदुओं की जनसंख्या घट रही है, जबकि दूसरों की बढ़ रही है. सरकार को एक जनसंख्या नीति लागू करनी चाहिए.’
इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘जो कोई भी भारतीय संस्कृति का पालन करता है वह हिंदू है. कई लोगों को हिंदू समाज से अलग कर दिया गया है. मेरा लक्ष्य उन लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाना है.’