जनगणना के नए आंकड़े जारी हो गए हैं। अब हमारी आबादी 121 करोड़ है यानी अमेरिका से 90 करोड़ और पाकिस्तान से 103 करोड़ ज्यादा। तो क्या ये हमारे लिए खुशखबरी है?बचपन से हम और आप बड़े बूढ़ों से सुनते आए हैं, दूधो नहाओ पूतो फलो। इन सालों में कितने निजाम बदले फिर भी दूध से नहा तो नहीं पाए, हां पूतों फलते जरूर आए हैं। तो खुशियां मनाइए देश बढ़ रहा है, महंगाई…
जनगणना के नए आंकड़े जारी हो गए हैं। अब हमारी आबादी 121 करोड़ है यानी अमेरिका से 90 करोड़ और पाकिस्तान से 103 करोड़ ज्यादा। तो क्या ये हमारे लिए खुशखबरी है?बचपन से हम और आप बड़े बूढ़ों से सुनते आए हैं, दूधो नहाओ पूतो फलो। इन सालों में कितने निजाम बदले फिर भी दूध से नहा तो नहीं पाए, हां पूतों फलते जरूर आए हैं। तो खुशियां मनाइए देश बढ़ रहा है, महंगाई बढ़ रही है, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, महिलाओं के खिलाफ जुर्म की घटनाएं बढ़ रहे हैं और इन सबके बीच बढ़ रही है देश की आबादी भी।अब हम 121 करोड़ हैं। चीन से बस थोड़े कम और पाकिस्तान से बहुत ज्यादा। लद्धाख में चीन की हिमाकत और सरबजीत मामले में पाकिस्तान के अड़ियल रवैये पर गौर कीजिए, क्या हमारी ताकत का हमारी आबादी से कोई रिश्ता है? चीन के लिए उसकी आबादी उसकी ताकत है, ये वो बाजू हैं जो अमेरिका और यूरोप के बाजार के लिए सबसे सस्ता सामान तैयार करते हैं।लेकिन भारत के लिए बढ़ती आबादी का मतलब है बढ़ती मुसीबत, रोटी कपड़ा और मकान की चिंता। इन्हें खिलाए क्या, पहनाएं क्या? जनगणना के आंकड़े बता रहे हैं कि मर्दों के मुकाबले औरतों की तादाद ज्यादा बढ़ी है। कोख में कत्ल और सड़कों पर सामूहिक दुष्कर्म के बावजूद गूंज रही है बिटिया की किलकारियां। जनगणना के आंकड़े बता रहे हैं कि तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज भी हमारे यहां दो तिहाई आबादी गांवों में रहती है। इन आंकड़ों में गांवों में परती माटी और किसानों की रेहन पड़ी जमीन का हिसाब तो नहीं, हां, 37 करोड़ 71 लाख शहरियों का हिसाब जरूर है जो अब कस्बों से लेकर महानगर के मायाजाल में बेहतर जिंदगी के मायने समझने की कोशिश कर रहे हैं।भारत में पुरुष और महिला जनसंख्या का प्रतिशत कुल प्रतिशतपुरुष 9,09,70,000 17.1महिला 9,09,90,000 18.3