देश की सीने पर लोट रहा लाल ड्रैगन फुफकार रहा है। बेगुनाह इस आग में जल रहे हैं लेकिन देश के नेताओं को शायद दिल्ली की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है। कहां तो देश की लीडरशिप को नक्सलियों को करारा जवाब देने की रणनीति बनाने की माथापच्ची में जुटे होना चाहिए था लेकिन पीएम ने जापान का रुख़ कर लिया है।
वित्तमंत्री और विदेशमंत्री अरब देशों की सैर पर हैं और देश…
देश की सीने पर लोट रहा लाल ड्रैगन फुफकार रहा है। बेगुनाह इस आग में जल रहे हैं लेकिन देश के नेताओं को शायद दिल्ली की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है। कहां तो देश की लीडरशिप को नक्सलियों को करारा जवाब देने की रणनीति बनाने की माथापच्ची में जुटे होना चाहिए था लेकिन पीएम ने जापान का रुख़ कर लिया है।
वित्तमंत्री और विदेशमंत्री अरब देशों की सैर पर हैं और देश के गृहमंत्री ने अपना अमेरिकी दौरा बढ़ा लिया है। जिस वक्त देश के बीहड़ों में नक्सली दिल दहलाने वाली साज़िश को अंजाम दे रहे थे उस वक्त शिंद साहब और उनकी टीम बोस्टन बम धमाकों पर ब्रीफिंग ले रही थी, अमेरिकी अधिकारियों से साइबर टेररिज़्म से निपटने का पाठ पढ़ रही थी लेकिन उन्हें इसके बाद भी 23 मई तक लौट जाना चाहिए था।
खबर यह है कि शिंदे अमेरिका में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए रुके हैं। आलम ये था कि जिस वक्त नक्सली हमला हुआ गृह मंत्रालय में कोई फैसला लेने वाला ही नहीं था और पीएमओ को हालात की कमान अपने हाथ में लेनी पड़ी थी।
माओवादियों ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। नक्सलियों की दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने बीबीसी को एक विज्ञप्ति भेजी है।
विज्ञप्ति में यह साफ किया गया है कि नक्सली सलवा जुडूम का बदला लेना चाहते थे। नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि हमले में मारे गए नेता जन-विरोधी थे और हमले का एक मकसद बस्तर इलाके में जन-विरोधी नीतियों का विरोध करना था। गुड्सा उसेंडी की ओर से चिट्ठी में मारे गए बेगुनाहों के लिए माफी भी मांगी गई है।