मोदी ने की उद्धव से मुलाकात, गर्मजोशी से हुई बात

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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से यहां उनके निवास पर मुलाकात की। भाजपा नेता को पार्टी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद उनकी ठाकरे के साथ यह पहली मुलाकात है।

गुजरात के मुख्यमंत्री के उद्धव से रिश्ते बहुत मधुर नहीं हैं और उन्हें शिवसेना प्रमुख के चचेरे भाई एवं एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे का करीबी म…

मोदी ने की उद्धव से मुलाकात, गर्मजोशी से हुई बात

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से यहां उनके निवास पर मुलाकात की। भाजपा नेता को पार्टी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद उनकी ठाकरे के साथ यह पहली मुलाकात है।

गुजरात के मुख्यमंत्री के उद्धव से रिश्ते बहुत मधुर नहीं हैं और उन्हें शिवसेना प्रमुख के चचेरे भाई एवं एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे का करीबी माना जाता है। मोदी ने उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे के निवास मातोश्री में शिवसेना प्रमुख से मुलाकात की।  

इस दौरान मोदी के साथ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष देवेन्द्र फडनवीस, विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े और मुंबई में भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार भी मौजूद थे। बीस मिनट तक चली इस संक्षिप्त बैठक में हुई बातचीत के बारे में पता नहीं चल पाया है। हालांकि इस अवसर पर उपस्थित भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोदी शिष्टाचार भेंट करने गये थे।

शिवसेना के मुखपत्र सामना ने मंगलवार को उत्तराखंड में गुजरातियों के बचाने के प्रयासों के लिए मोदी पर हमला बोलते हुए इसे संकुचित बताया था जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को इस विशाल कार्य के लिए विशाल हृदय करार दिया था।

मोदी और उनके दल द्वारा एक ही दिन में 15 हजार फंसे हुए गुजरातियों को निकालने के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सामना ने संपादकीय में कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री को इस प्रकार के कृत्य से ऐसे समय में परहेज करना चाहिए जब वह अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनने की आकांक्षा रखते हों।  

उद्धव ने कहा, ऐसे समय में जबकि मोदी की प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में सराहना की जा रही है, यह रूख अपनाया जाना घातक है कि वह केवल गुजरात के लोगों के बारे में सोचते हैं। आपदा के समय में व्यक्ति की राष्ट्रीय सोच होनी चाहिए न कि संकुचित या क्षेत्रीय सोच।

बहरहाल, उद्धव ने बाद में अपना रूख बदलते हुए कहा कि आलोचना मोदी को लक्षित करके नहीं की गयी थी। संपादकीय का जोर गुजरात के नेता के प्रचार तंत्र की तरफ था।

मोदी की उद्धव से शिष्टाचार भेंट को शिवसेना के संतुष्ट होने और राजग में विघटन का और कोई खतरा नहीं होने के रूप में पेश किया जा रहा है। शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी मित्र है जिसके साथ गठबंधन में महाराष्ट्र में 1995 से 1999 के बीच सरकार चलायी गयी।जदयू के हटने के बाद राजग में शिरोमणि अकाली दल सहित महज तीन दल रह गये हैं।

मोदी के कथित रेम्बो कृत्य पर शिवसेना द्वारा अपनी त्यौरियां चढ़ाये जाने से एक दिन पहले ही सामना के एक अन्य संपादकीय में उद्धव ने मांग की थी कि भाजपा केन्द्र में सत्तारूढ़ संप्र्रग को वास्तविक चुनौती देने के लिए नये सहयोगी बनाने की योजना का खुलासा करे।

गडकरी के नेतृत्व में भाजपा का एक वर्ग महाराष्ट्र में कांगे्रस से मुकाबला करने के लिए एक बड़ा मोर्चा गठित करने का प्रयास कर रहा है। यह वर्ग राज ठाकरे को संभावित सहयोगी के रूप में देखता है जिनके मोदी से अच्छे संबंध हैं।

जदयू का साथ छूटने के बाद भाजपा को अपने पुराने मित्रों को बनाये रखने के साथ ही नये सहयोगियों की तलाश का कठिन है वहीं इस साल के अंत में होने वाले विभिन्न राज्य विधानसभा चुनावों और अगले साल आम चुनाव में पार्टी को चुनौतियों से उबारने की जिम्मेदारी भी है।