राजकीय सम्मान के साथ होगा विद्याचरण शुक्ल का अंतिम संस्कार

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कांग्रेस के दिवंगत नेता विद्या चरण शुक्ल का आज शाम चार बजे रायपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया था। इसके बाद वायुसेना के विशेष विमान से उनका पार्थिव शरीर रायपुर ले जाया गया। 25 मई को नक्सली हमले में घायल होने के बाद वो लगातार मेदांता अस्पताल में भर्ती रहे। शुक्ल ने अपने अंतिम…

राजकीय सम्मान के साथ होगा विद्याचरण शुक्ल का अंतिम संस्कार

कांग्रेस के दिवंगत नेता विद्या चरण शुक्ल का आज शाम चार बजे रायपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया था। इसके बाद वायुसेना के विशेष विमान से उनका पार्थिव शरीर रायपुर ले जाया गया। 25 मई को नक्सली हमले में घायल होने के बाद वो लगातार मेदांता अस्पताल में भर्ती रहे। शुक्ल ने अपने अंतिम संस्कार के लिए एक चबूतरा बनवाया है। जानकारी के मुताबिक इसी पर शुक्ल का अंतिम संस्कार किया जाएगा।  

खानदानी तौर पर कांग्रेसी रहे विद्याचरण शुक्ल ना सिर्फ एक वक्त पर सबसे युवा सांसद रहे। उन्होंने महासमुंद लोकसभा सीट से 9 बार जीतने का कारनामा भी किया। हालांकि इमरजेंसी के दिनों में उन्हें किशोर के गानों पर पाबंदी के लिए जनता की खासी नाराज़गी भी झेलनी पड़ी थी।

छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले का शिकार बने कद्दावर कांग्रेसी नेता वी सी शुक्ल की गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में मौत हो गई। कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले विद्याचरण शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 को रायपुर में हुआ था। विद्याचरण शुक्ल को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल वकील, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेसी नेता थे। पंडित रविशंकर शुक्ल पुनर्गठित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी थे।

विद्याचरण शुक्ल ने मॉरिस कॉलेज नागपुर से बीए करने के बाद एल्विन कूपर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरुआत की। 1957 में कांग्रेस के टिकट पर वीसी शुक्ल ने महासमुंद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने सीट से बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया और भारतीय संसद में सबसे युवा सांसद बने। इस सीट से वे नौ बार लोकसभा का चुनाव जीते। 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कैबिनेट में उन्हें मंत्री बनाया गया। अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने संचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, विदेश, संसदीय आदि मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।

1975-77 में जब देश में आपातकाल के समय शुक्ल सूचना और प्रसारण मंत्री थे। उन्होंने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि किशोर कुमार ने मुंबई के हुई कांग्रेस की रैली में गाना गाने से मना कर दिया था।

2004 में शुक्ल कांग्रेस छोड़कर शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। 2005 में शुक्ल भाजपा में शामिल हो गए। वह केंद्रीय समिति के सदस्य भी रहे। बाद में वह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल इनके बड़े भाई थे।