इमालवा – नई दिल्ली। खोजी वेबसाइट विकीलीक्स के ताजा खुलासे से सियासत में हड़कंप मच गया है। विकीलीक्स ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। वेबसाइट का दावा है कि राजीव गांधी स्वीडन की एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे जिसने इंडियन एयरफोर्स के लिए लड़ाकू विमानों का सौदा करने की कोशिश की। फर्नांडीस के बारे में कहा गया है कि उन्होंने इमरजेंसी के दौरान सीआईए और फ्रांस की सरकार से आर्थिक मदद मांगी थी।
संसद सत्र से पहले विकीलीक्स के इन ताजा खुलासों से सियासी पारा चढ़ गया है। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने यह खबर मीडिया में आते ही कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधा। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। जावडेकर ने कहा, ‘विकीलीक्स के खुलासे गंभीर हैं। यह कांग्रेस के गांधी परिवार से जुड़े हैं। देश से जुड़े सभी रक्षा सौदों का गांधी परिवार से कोई न कोई रिश्ता जरूर होता है। उस वक्त के सभी दस्तावेज सामने आने चाहिए। केंद्र सरकार और गांधी परिवार को भी इस पर जवाब देना चाहिए। बिहार में बीजेपी कोटे से मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि विकीलीक्स के ताजा खुलासे से देश हिल गया है। सुप्रीम कोर्ट को इसकी जांच के आदेश देने चाहिए।
कांग्रेस ने इस खुलासे को बकवास और निराधार करार दिया है। हालांकि बीजेपी के हमलों का जवाब देने में कांग्रेस ने वक्त लिया। दोपहर बाद मीडिया से मुखातिब हुए कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि जो अखबार में छपा उसका कोई आधार नहीं है। इस खबर से हमें काफी तकलीफ हुई है। द्विवेदी ने इस दौरान एनडीए को भी लपटने की कोशिश की और बीजेपी को सही तरीके से सियासत करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि अखबार में एक और खबर छपी है जिसमें एनडीए के एक बड़े नेता के बारे में खुलासे किए गए हैं। ऐसे में क्या सीआईए से पैसे लेने देने की बात सच है? उन्होंने कहा कि बीजेपी को राजनीति करने में गंभीरता दिखानी चाहिए। द्विवेदी ने कहा, ‘कांग्रेस ने राजनीति के लिए अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया है। जबकि बीजेपी हर बार अपनी सीमाएं तोड़ देती है।’
हालांकि कांग्रेस सांसद रशीद मसूद ने विकीलीक्स खुलासों के बारे में द्विवेदी से पहले ही कह दिया कि यह बेवकूफी की बात है। वह विकीलीक्स के खुलासे पर यकीन नहीं करते। वहीं, शिव सेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि चूंकि राजीव गांधी अब राजीव गांधी जीवित नहीं है, ऐसे में सोनिया गांधी को इस बारे में सफाई देनी चाहिए।
विकीलीक्स ने पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के बारे में भी एक खुलासा किया है कि उन्होंने आपातकाल के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और फ्रांस की सरकार से आर्थिक मदद मांगी थी। समाजवादी पृष्ठभूमि वाले जॉर्ज को मजदूरों का बड़ा नेता माना जाता है जो पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ रहे थे। जॉर्ज उस वक्त रेलवे यूनियन के नेता हुआ करते थे और इमरजेंसी के दौरान वह अंडरग्राउंड हो गए थे।
राजीव गांधी पीएम बनने से पहले इंडियन एयरलाइंस में पायलट के तौर पर काम करते थे। अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में प्रकाशित इन खुलासों के मुताबिक इंडियन एयरलाइंस में काम करने के दौरान राजीव गांधी स्वीडन की कंपनी साब स्कानिया के साथ भी बतौर ‘उद्यमी’ जुड़े हुए थे। विकीलीक्स इस ओर इशारा करता है कि स्वीडिश कंपनी को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी के रसूख के बारे में पता था। यह कंपनी 70 के दशक में भारत को लड़ाकू विमान बेचना चाहती थी हालांकि यह सौदा नहीं हो सका था।
विकीलीक्स ने 1974 से 1976 के बीच 41 केबल (गुप्त संदेशों) के बारे में खुलासा किया है। इन्हीं केबल में से 21 अक्टूबर 1975 का एक केबल है जिसमें राजीव गांधी को स्वीडिश कंपनी का ‘उद्यमी’ बताया गया है। विकीलीक्स के मुताबिक स्वीडिश कंपनी अपने विजेन लड़ाकू विमान को भारत में बेचने की कोशिश कर रही थी। लेकिन इस रेस में ब्रिटिश कंपनी SEPECAT जगुआर ने बाजी मार ली। साब ने अमेरिका के दबाव में अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
स्वीडिश कंपनी को इस बात का अंदाजा था कि लड़ाकू विमानों की खरीद के बारे में अंतिम फैसला लेने में गांधी परिवार की भूमिका होगी। फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट कंपनी दसो को भी इसका अनुमान था। इस कंपनी की तरफ से लड़ाकू विमान मिराज के लिए तत्कालीन वायुसेना अध्यक्ष ओपी मेहरा के दामाद दलाली करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि केबल में मेहरा के दलाल का नाम नहीं लिया गया है।
राजीव गांधी 1980 तक राजनीति से दूर रहे थे। संजय गांधी की मौत के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। इंदिरा गांधी बेटे राजीव को बतौर ‘मिस्टर क्लीन’ राजनीति में लेकर आईं। हालांकि बतौर प्रधानमंत्री पहले कार्यकाल में ही वह स्वीडन की ही एक कंपनी से बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए हुए सौदे में घूसखोरी के आरोपों से घिर गए और इस वजह से 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना भी करना पड़ा।
विकीलीक्स के मुताबिक 1975 में दिल्ली स्थित स्वीडिश दूतावास के एक राजनयिक ने केबल (गुप्त संदेश) भेजा था, ‘इंदिरा गांधी ने ब्रिटेन के खिलाफ अपने पूर्वाग्रहों की वजह से जगुआर न खरीदने का फैसला कर लिया है। अब मिराज और विजेन के बीच फैसला होना है। मिसेज गांधी के बड़े बेटे बतौर पायलट एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े हैं और पहली बार उनका नाम बतौर उद्यमी सुना जा रहा है। अंतिम फैसले को यह परिवार प्रभावित करेगा। हालांकि, राजीव गांधी एक ट्रांसपोर्ट पायलट हैं और उनके पास फाइटर प्लेन के मूल्यांकन की योग्यता नहीं है, लेकिन उनके पास एक ‘दूसरी योग्यता’ है।’
एक अन्य केबल में स्वीडिश राजनयिक के हवाले से कहा गया है, ‘इस डील में इंदिरा गांधी की अति सक्रियता की वजह से स्वीडन चिढ़ा हुआ था।’ केबल के मुताबिक, उन्होंने फाइटर प्लेन की खरीद की प्रक्रिया से एयरफोर्स को दूर रखा था। राजनयिक के मुताबिक, 40 से 50 लाख डॉलर प्रति प्लेन के हिसाब से 50 विजेन के लिए बातचीत चल रही थी। स्वीडन को भरोसा था कि भारत सोवियत संघ से और युद्धक विमान न खरीदने का फैसला कर चुका था।
इसी तरह 6 अगस्त 1976 को भेजे गए एक दूसरे केबल से पता चलता है कि भारत को लड़ाकू विमान बेचने की कोशिश में जुटे स्वीडन को अमेरिकी दबाव में अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। अमेरिका ने साब-स्कानिया को भारत को विजेन एक्सपोर्ट करने और देश में बनाने का लाइसेंस देने की अनुमति नहीं दी थी।
अमेरिका की ओर से कहा गया था, ‘गंभीरता से विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि विजेन के किसी भी ऐसे संस्करण को भारत को एक्सपोर्ट करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, जिसमें अमेरिकी कल-पुर्जे लगे हों।’ अमेरिका ने कहा था कि वह अमेरिकी डिजाइन और तकनीक से लैस इस विमान के भारत में उत्पादन का विरोध करेगा।
गुप्त अमेरिकी दस्तावेजों का लंबे समय से खुलासा कर रही वेबसाइट विकिलीक्स ने इससे पहले कई देशों के नेताओं, सरकारों और बड़ी हस्तियों की नींदें उड़ा दी थीं। विकीलीक्स ने बीएसपी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बारे में कहा था कि उन्होंने अपने सैंडल खरीदने के लिए विशेष विमान मुंबई भेजे थे। वहीं, एक अन्य केबल में सतीश चंद्र मिश्रा के हवाले से कहा गया था कि वह मानते हैं कि मायावती भ्रष्ट हैं। इन खुलासों पर भड़कीं मायावती ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन अंसाज को पागलखाने भेजने की सलाह दे डाली थी।