इमालवा – नई दिल्ली | महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा रोकने के लिए बेहद कठोर प्रावधानों वाले अपराध कानून संशोधन विधेयक 2013 को लोकसभा ने मंजूरी दे दी।
इस बिल में न केवल साधारण यौन अपराधों की सजा बढ़ाई गई है, बल्कि बलात्कार मामले में न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा महिला के संवेदनशील अंगों से छेड़छाड़ तक को बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है।
तेजाब हमलों पर कड़ी सजा
तेजाब हमलों पर भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। हालांकि मत विभाजन के बाद इस मामले में उम्रकैद की सजा के प्रावधान को हटा लिया गया है।
विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दलों के विरोध के बाद ताकझांक करना, पीछा करना और घूरना अब जमानती अपराध की श्रेणी में रखे गए हैं। अब बिल को बुधवार को राज्यसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है।
सभी दलों से सहमति तथा कैबिनेट से संशोधनों पर मुहर लगने के बाद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंगलवार को इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया।
बिल पर पांच घंटे से अधिक हुई चर्चा के बाद विपक्ष की ओर से कई संशोधन प्रस्ताव पेश किए गए। इनमें तेजाब से हमला कर गंभीर रूप से घायल करने के मामले में उम्रकैद की सजा के खिलाफ बीजद सांसद भृतहरि महताब का लाया गया संशोधन प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया।
सहमति से सेक्स की उम्र 18 ही
बच्चों की तस्करी मामले में उम्रकैद की सजा के प्रावधान को भी बिल से हटाना पड़ा है। इसमें हालांकि कई दलों के विरोध को देखते हुए सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल करने और ताकझांक और पीछा करने को जमानती अपराध बनाया गया है।
वहीं, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने एयर होस्टेस गीतिका और उसकी मां के आत्महत्या प्रकरण की याद दिलाते हुए पीछा करने को गैरजमानती अपराध घोषित करने के प्रावधान का जोरदार समर्थन किया।
बिल के दुरुपयोग की आशंका
विधेयक पेश करते हुए शिंदे ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए इसे वक्त की जरूरत बताते हुए कहा कि इसका प्रारूप तैयार करने के लिए सरकार ने महिला समूहों, सभी दलों के साथ समाज के सभी वर्गों की राय ली है।
हालांकि चर्चा के दौरान कई दलों ने इस बिल के व्यापक दुरुपयोग की आशंका जताई, लेकिन एक भी दल ने इसका विरोध नहीं किया।
विधेयक में बलात्कार की नई परिभाषा तय करने के साथ ही ऐसे मामलों में मुकदमे की प्रक्रिया को व्यावहारिक और आसान बनाने के उपाय किए गए हैं।
बलात्कार के कारण हुई मौत या स्थायी विकलांगता आने पर मौत की सजा दी जा सकती है। बलात्कार के मामलों की सुनवाई में महिला के बयान या पूछताछ के दौरान मजिस्ट्रेट असहज करने वाले सवाल नहीं पूछ पाएंगे। इसके अलावा इस दौरान आरोपी महिला के सामने उपस्थित नहीं रहेगा।
बिल से बदले ये कानून भी
बलात्कार के अलावा यौन अपराधों से जुड़े अन्य मामलों में कड़ी सजा के प्रावधान के लिए इस बिल के जरिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता 1973, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में जरूरी संशोधन भी किया गया है।
क्या हैं बिल के प्रावधान
-बलात्कार मामले में न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा।
-महिला के संवेदनशील अंगों से छेड़छाड़ भी माना जाएगा बलात्कार, ऐसे मामलों में कम से कम 20 साल और अधिकतम ताउम्र कैद।
-तेजाब हमला करने वालों को मिलेगी 10 साल की सजा।
-ताकझांक करने, पीछा करने के मामले में दूसरी बार नहीं मिलेगी जमानत, बार-बार पीछा करने पर अधिकतम पांच साल सजा।
-सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल रहेगी।
-सजा के अतिरिक्त दुष्कर्म पीड़ित के इलाज के लिए अभियुक्त पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान।
-महिला के कपड़े फाड़ने पर भी सजा का प्रावधान।
-धमकी देकर शोषण करने के लिए सात से दस साल कैद तक की सजा।