देश का कोई ऐसा छोर नहीं है जहां के बाशिंदे उत्तराखंड में आई प्रलय में ना फंसे हों लेकिन देश के गृहमंत्री को लगता है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की कोई ज़रुरत नहीं है।
हादसे के छह दिनों बाद आज सुशील शिंदे उत्तराखंड के दौरे पर हैं। यहां पहुंचकर उन्होंने मुख्यमंत्री के अलावा प्रशासन के आला अफसरों के साथ मीटिंग की। मीटिंग के बाद शिंदे ने माना कि र…
देश का कोई ऐसा छोर नहीं है जहां के बाशिंदे उत्तराखंड में आई प्रलय में ना फंसे हों लेकिन देश के गृहमंत्री को लगता है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की कोई ज़रुरत नहीं है।
हादसे के छह दिनों बाद आज सुशील शिंदे उत्तराखंड के दौरे पर हैं। यहां पहुंचकर उन्होंने मुख्यमंत्री के अलावा प्रशासन के आला अफसरों के साथ मीटिंग की। मीटिंग के बाद शिंदे ने माना कि रेस्क्यू ऑपरेशन में तालमेल की कमी है। इसे दूर करने के लिए पूर्व गृह सचिव वीके दुग्गल को नियुक्त किया गया है। दुग्गल का काम राहत का काम देख रही एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाना होगा।
हालांकि शिंदे ने उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने से इनकार कर दिया। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर देना चाहिए? तो इस पर गृह मंत्री ने इस सवाल के जवाब में एक सवाल कर दिया कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से क्या हो जाएगा? क्या इससे कुछ फायदा होगा?
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि प्रभावित इलाकों में सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री को जाने दिया जाएगा। गौर करना ज़रुरी है कि नरेंद्र मोदी भी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए आने वाले हैं। वहीं बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने गृहमंत्री के बयान की निंदा की है। नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार पीड़ितों की मदद करने की बजाए राज्य सरकार पर दोष मढ़कर पल्ला झाड़ रही है।