समर्पण की मुद्रा में शिवसेना, बातचीत का बन रहा माहौल

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इमालवा-मुंबई।अब तक सरकार में शामिल होने के लिए भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार कर रही शिवसेना के कसबल ढीले पड़ चुके हैं और वह समर्पण की मुद्रा में आ चुकी है। पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिवाली की शुभकामनाएं देने स्वयं दिल्ली जाना चाहते हैं।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम प्रधानमंत्री से दिल्ली जाकर मिलने का निर्णय किया। यह निर्णय उन्होंने पार्टी के कई विधायकों एवं वरिष्ठ नेताओं से बात करने के बाद लिया है। मोदी से मुलाकात का समय अभी तय नहीं हुआ है। समय तय करने और मुलाकात का उचित माहौल बनाने के लिए शिवसेना ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं सुभाष देसाई और अनिल देसाई को दिल्ली भेज दिया है। ये दोनों नेता भाजपा के दोनों पर्यवेक्षकों गृहमंत्री राजनाथ सिंह और जयप्रकाश नड्डा से मिलेंगे। ये दोनों शिवसेना के सुलझे हुए नेताओं में माने जाते हैं। उद्धव ने इस बातचीत के लिए संजय राऊत एवं दिवाकर राउते जैसे नेताओं को आगे करने से परहेज किया, जिनके नेतृत्व में चली बातचीत के दौरान चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया था। शिवसेना के सचिव अनिल देसाई कह चुके हैं कि शिवसेना की ओर से कोई शर्त नहीं रखी गई है।

गडकरी के पक्ष में गोलबंदी मुंबई : महाराष्ट्र में नए नेता के नाम पर चल रही अटकलबाजी के बीच मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समर्थन में आवाज उठने लगी है। भाजपा के 40 विधायकों ने मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने के लिए गडकरी के नागपुर स्थित आवास के बाहर शक्ति प्रदर्शन किया। गडकरी को मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने की मांग सबसे पहले चंद्रपुर से विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने उठाई। मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास के लिए उन्हें सरकार का नेतृत्व स्वीकार करना चाहिए। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष रह चुके सुधीर मुनगंटीवार का नाम भी मुख्यमंत्री पद के संभावित उममीदवारों में लिया जा रहा था। मुनगंटीवार द्वारा गडकरी का नाम आगे करने के पीछे एक कारण सरकार चलाते समय शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसे दलों के दबाव से सरकार को मुक्त रखना भी माना जा रहा है। गडकरी के नाम का समर्थन करनेवाले नेताओं का मानना है कि कम उम्र औरकमअनुभव वाले नेता इन दोनों दलों के दबाव में आ सकते हैं। पंकजा मुंडे के प्रति शिवसेना का नरम रुख एवं पंकजा का देवेंद्र फणनवीस को परोक्ष समर्थन भी देवेंद्र की राह का रोड़ा बन सकता है। खास बात यह है कि देवेंद्र, सुधीर और नितिन तीनों ही विदर्भ के नेता हैं। यहां की 62 में से 44 सीटें भाजपा ने जीती हैं।