इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट अहमदाबाद के स्पेशल कोर्ट में दाखिल कर दी है। सीबीआई का दावा है कि 2004 में गुजरात पुलिस के एनकाउंटर में मारी गई मुंबई की कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां आतंकवादी नहीं थी। चार्जशीट में किसी भी राजनेता का नाम शामिल नही है।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इशरत के एनकाउं…
इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट अहमदाबाद के स्पेशल कोर्ट में दाखिल कर दी है। सीबीआई का दावा है कि 2004 में गुजरात पुलिस के एनकाउंटर में मारी गई मुंबई की कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां आतंकवादी नहीं थी। चार्जशीट में किसी भी राजनेता का नाम शामिल नही है।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इशरत के एनकाउंटर को फर्जी बताया गया है। इसी के साथ इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम नहीं है। हालांकि सीबीआई ने इस फर्जी एनकाउंटर में गुजरात पुलिस के तीन आला अधिकारियों पीपी पांडे, डीजी वंजारा और जी सिंघल को कटघरे में खड़ा किया है। पिछले दिनों यह बात सामने आई थी कि इनके अलावा सीबीआई इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को भी गिरफ्त में लेने की तैयारी में है।चार्जशीट में आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा, डिप्टी एसपी नरेंद्र अमीन, पुलिस अधिकारी जी जे परमार, फरार आईपीएस अधिकारी पी पी पांडे, डिप्टी एसपी तरुण बारोट और अनाजु चौधरी के नाम शामिल हैं।
वैसे कोर्ट से सीबीआई ने दो दिनों का समय मांगा है। दो दिन के बाद सीबीआई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने वाली है। लेकिन जानकारों की मानें तो उस चार्जशीट में भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह यानी किसी राजनेता का नाम शामिल नहीं होगा।
पूरे नौ साल बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने अहमदाबाद कोर्ट में इशरत जहां एनकाउंटर में यह पहली चार्जशीट पेश की है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने दावा किया है कि एनकाउंटर में मारे गए तीन लोग आतंकवादी थे। इनके नाम जावेद, अमजद अली राणा और जौशीन थे। ये तीनों अहमदाबाद में आतंकवादी हमले की फिराक में थे। लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इनके टारगेट पर नहीं थे। एनकाउंटर में मारी गई इशरत को भी गुजरात पुलिस आतंकवादी बता रही थी, लेकिन सीबीआई के मुताबिक उसके आतंकवादी होने का कोई भी सबूत नहीं मिला है। इस मामले में सीबीआई ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर भी फिलहाल उंगली नहीं उठाई है, ये लोग जांच से बाहर हो गए हैं ऐसा नहीं माना जा सकता।
ऐसा हुआ एनकाउंटर…सीबीआई ने दावा किया है कि इशरत को सिर्फ इसलिए मार दिया गया, क्योंकि उसने इंटेलिजेंस ब्यूरो के लोगों को कश्मीरी आतंकवादी अमजद अली राणा का अपहरण करते देख लिया था। सीबीआई ने फर्जी एनकाउंटर के पहले हुई घटनाओं का ब्यौरा दिया है। इसके मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो ने सबसे पहले दो पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया, उसके कुछ दिनों बाद इशरत और उसके एक साथी को गिरफ्तार किया गया। इन चारों को आईबी ने दो-तीन सप्ताह तक हिरासत में रखा। इस मामले को हैंडल कर रही टीम के हेड थे राजेंद्र कुमार, उनके साथ दो-तीन जूनियर अफसर भी शामिल थे। आईबी की टीम ने इसके बाद इन चारों को गुजरात पुलिस को सौंप दिया। गुजरात पुलिस ने इशरत जहां को छोड़ दिया, मगर फिर कुछ दिनों बाद उसे दोबारा बुलाया गया। इशरत को अहमदाबाद के बाहर एक सुनसान इलाके में बुलाया गया था। यहां पर पुलिस जावेद, अमजद और जौशीन के साथ मौजूद थी। इसी स्पॉट पर चारों को मार दिया गया और उनके पास हथियारों की बरामदगी भी दिखा दी गई।