आखिरकार बीजेपी और जेडीयू की राहें अलग हो ही गईं। जेडीयू ने 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ने का एलान किया तो बीजेपी ने भी टका सा जवाब देने में देरी नहीं की। दोनों ही दल गठबंधन टूटने का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
जेडीयू ने पहले ही साफ कर दिया था कि मोदी उसे मंजूर नहीं। लेकिन बीजेपी ने गोवा में मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपकर अपने रुख का संकेत दे द…
आखिरकार बीजेपी और जेडीयू की राहें अलग हो ही गईं। जेडीयू ने 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ने का एलान किया तो बीजेपी ने भी टका सा जवाब देने में देरी नहीं की। दोनों ही दल गठबंधन टूटने का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
जेडीयू ने पहले ही साफ कर दिया था कि मोदी उसे मंजूर नहीं। लेकिन बीजेपी ने गोवा में मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपकर अपने रुख का संकेत दे दिया था। लिहाजा दोनों पार्टियों में तनातनी शुरू हुई और आखिरकार जेडीयू ने एनडीए से अपना नाता खत्म करने का एलान कर दिया। वही एनडीए जिसके संयोजक खुद शरद यादव थे, अब उसके बारे में उनकी राय भी जरा जान लीजिए।
जेडीयू के एनडीए से नाता तोड़ने के एलान के साथ ही बीजेपी का रुख भी सख्त हो गया। उसने मोदी के मुद्दे पर न सिर्फ जेडीयू को टका सा जवाब दिया बल्कि लगे हाथों दुश्मन जैसा सलूक करने का इल्जाम भी जड़ दिया। जेडीयू के फैसले का सबसे पहला असर बिहार में बीजेपी के साथ उसकी चल रही गठबंधन सरकार पर पड़ा है। लिहाजा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 19 जून को विश्वासमत हासिल करने की बात कही तो बिहार बीजेपी ने उससे ठीक एक दिन पहले विश्वासघात दिवस मनाने का ऐलान कर दिया।
17 साल तक साथ चलने वाले दो दल अब गठबंधन टूटने का ठीकरा न सिर्फ एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं बल्कि दुश्मनी जैसे शब्द भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जाहिर है आने वाले वक्त में ये तल्खी और बढ़ेगी। 10 साल पहले 2003 को गुजरात में नीतीश ने मोदी को देश की सेवा देने के लायक बताया था। मौका था रेल लिंक लाइन के उद्घाटन समारोह का। गुजरात के अदिपुर में मोदी के सामने नीतीश ने उनकी शान में जमकर कसीदे पढ़े थे लेकिन ठीक 10 साल बाद अब वही नीतीश मोदी के विरोध में खुलकर खड़े हैं और मोदी को लेकर उन्होंने 17 साल पुराने रिश्ते को भी तोड़ दिया।