उत्तरांखंड में राहत कार्य के साथ ही सरकार की चिंता अब महामारी रोकने की है। केदारघाटी और बाकी इलाकों में फैले मलबे के बीच शवों के दबे होने से इसकी आशंका जताई जा रही है। डॉक्टरों की टीम ने सरकार को इस खतरे से अगाह कर दिया है। आशंका जातई जा रही है कि अगर जल्द ही सही कदम नहीं उठाए गए तो गंगोत्री से गंगा सागर तक महामारी का खतरा होगा।
उत्तराखंड में कुदरत…
उत्तरांखंड में राहत कार्य के साथ ही सरकार की चिंता अब महामारी रोकने की है। केदारघाटी और बाकी इलाकों में फैले मलबे के बीच शवों के दबे होने से इसकी आशंका जताई जा रही है। डॉक्टरों की टीम ने सरकार को इस खतरे से अगाह कर दिया है। आशंका जातई जा रही है कि अगर जल्द ही सही कदम नहीं उठाए गए तो गंगोत्री से गंगा सागर तक महामारी का खतरा होगा।
उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद अब सबसे बड़ा खतरा महामारी का है। केदारानाथ में बड़ी संख्य़ा में शवों के मलबे में दबे होने की आंशंका है। खुद उत्तराखंड सरकार भी मान चुकी है कि मलबे की सफाई में अभी वक्त लगेगा साथ ही सरकार ऐसी भी आशंका जता चुकी है कि मलबे में शव हो सकते हैं। ऐसे में डर इस बात का है कि कहीं इनकी वजह से हवा और पानी भी दूषित ना होने लगे।
आपदा पीड़ितों की देखभाल करने वाले चिकित्सकों ने सरकार को हालात से अवगत करा दिया है। मलबे में शवों के संख्या को लेकर अभी भी कुछ साफ तौर पर नहीं कहा जा रहा लेकिन केदार नाथ में मिले शवो के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी अब संतो ने ली है और इस काम के लिए संत केवल आगे ही नहीं आये बल्कि उन्होंने इसके लिए अपनी तरफ से काफी इंतजाम भी किए हैं।
सरकार ने इस काम की जिम्मेदारी देहरादून जिला प्रशासन को दी है वहीं सरकारी मदद के साथ ही साधु संत भी अपनी कोशिशों में जुट गए हैं। बस अब इंतजार है मौसम के सही होने का।