उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियानों में तेजी लाते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना और नौसेना के 45 से ज्यादा हेलीकाप्टर और 10,000 सैनिकों को वर्षा से घिरे पर्वतीय राज्य में तैनात किया है।
भारतीय वायु सेना ने राज्य में 20 एम आई-17 और 16 आधुनिक हल्के हेलीकाप्टर लगाए थे, जो अब तक 1,500 से ज्यादा मुसीबतजदा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुके हैं। सेना ने…
उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियानों में तेजी लाते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना और नौसेना के 45 से ज्यादा हेलीकाप्टर और 10,000 सैनिकों को वर्षा से घिरे पर्वतीय राज्य में तैनात किया है।
भारतीय वायु सेना ने राज्य में 20 एम आई-17 और 16 आधुनिक हल्के हेलीकाप्टर लगाए थे, जो अब तक 1,500 से ज्यादा मुसीबतजदा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुके हैं। सेना ने सीमा सड़क संगठन के 3,000 जवानों के साथ ही 8,000 से ज्यादा अपने जवानों को राज्य में तैनात किया है। रक्षा मंत्रालय अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्री ए के एंटनी हालात पर नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने सशस्त्र बलों को अभियानों को अधिकतम संभव सहायता देने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है मीडिया खबरों में कहा गया था कि बारिश और बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रक्रिया के दौरान बूढ़े और बीमार लोगों को प्राथमिकता देने के नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। इस बारे में भारतीय वायु सेना ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि राहत अभियानों के दौरान ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
मंत्रालय ने बताया कि सीमा सड़क संगठन पिछले 48 घंटे के दौरान रिषिकेश से जोशीमठ तक के रास्ते में कई जगह सड़क ठीक करने में कामयाब रहा। संगठन ने अन्य कई प्रमुख सड़कों को भी दोबारा खोलने में कामयाबी हासिल की।
उत्तराखंड में चार सड़क खंडों पर 50 बड़े भूस्खलन
प्राकृतिक आपदा प्रभावित उत्तराखंड में चार सड़क खंडों पर कम से कम 50 बड़े भूस्खलन हुए हैं। राज्य में अचानक आई बाढ़ में सैकड़ों तीर्थयात्रियों के मरने की आशंका है।
एक अधिकारी ने उत्तराखंड से प्राथमिक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए प्रेस ट्रस्ट को बताया, गत 15 और 17 जून को भारी वर्षा, बादलों के फटने और भूस्खलन के कारण जान और माल की भारी क्षति हुई है। महत्वपूर्ण सड़क और आधारभूत संरचना नष्ट हो गई है। कई पुल बह गए हैं या अपूर्णीय रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चार खंडों रूद्रप्रयाग-गौरीकुंड, ऋषिकेश-जोशीमठ-माना, ऋषिकेश-धरासु-गंगोत्री और पिथौरागढ़-घतियाबगढ़ पर कम से कम 50 बड़े भूस्खलन हुए हैं। सिर्फ इन खंडों पर ही कम से कम 40 जगहों पर बड़े कटाव देखने को मिले हैं।
ऋषिकेश-जोशीमठ-माना मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है और जोशीमठ से आगे माना तक गंभीर क्षति हुई है। दो शाखा सड़कें सिमली-ग्वालधाम और जोशीमठ-मलारी बंद हैं।अधिकारी ने कहा कि ऋषिकेश-धरासु-गंगोत्री मार्ग चिंता का विषय है। धरासु के आगे सड़क बड़ी चिंता का विषय है।
अधिकारी ने बताया, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिवालिक और हीरक परियोजनाओं के 3000 से अधिक लोग आपदा प्रभावित खंडों पर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं ताकि महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग को बहाल किया जा सके। वहीं, 50 खननकर्ताओं, डोजरों और जेसीबी मशीनों को सेवा में लगाया गया है।