2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ चुकी जदयू पार्टी ने नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ भले ही भाजपा के साथ गठबंधन को समाप्त कर लिया हो, लेकिन सूत्र कहते हैं कि जदयू गठबंधन तोड़ने की जुगत में पिछले 3 वर्षों से राह देख रही थी।
इसके साथ ही बिहार में 8 साल पुरानी गठबंधन सरकार…
2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ चुकी जदयू पार्टी ने नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ भले ही भाजपा के साथ गठबंधन को समाप्त कर लिया हो, लेकिन सूत्र कहते हैं कि जदयू गठबंधन तोड़ने की जुगत में पिछले 3 वर्षों से राह देख रही थी।
इसके साथ ही बिहार में 8 साल पुरानी गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही जदयू ने राज्य मंत्रिमंडल से भाजपा के 11 मंत्रियों को हटा दिया और नई परिस्थिति में 19 जून को विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत के लिए प्रस्ताव रखने का फैसला किया।
भाजपा ने जदयू के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, लेकिन यह भी उम्मीद जताई कि राजग के साथ और घटक दल आएंगे।जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन तोड़ने की घोषणा की।
गौरतलब है करीब एक सप्ताह पहले ही मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी गयी थी जिसे उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की दिशा मंे ही एक कदम माना जा रहा है। शरद यादव ने राजग के संयोजक का पद भी छोड़ दिया।
आज का घटनाक्रम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए बड़े झटके वाली बात है जिसमें अब केवल तीन घटक दल- भाजपा, शिवसेना और अकाली दल रह गये हैं। 2009 के आम चुनावों से पहले बीजद ने ओडिशा में सांप्रदायिक हिंसा में भाजपाई ताकतों का हाथ होने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ राज्य में भाजपा से रिश्ता समाप्त कर दिया था।
नीतीश ने आधे घंटे के संबोधन में एक भी बार मोदी का नाम नहीं लिया,लेकिन परोक्ष रूप से उन पर कई बार निशाना साधा। उन्होंने कहा, हम अपने बुनियादी उसूलों से समझौता नहीं कर सकते। हमें नतीजों की चिंता नहीं है। जब तक गठबंधन बिहार केंद्रित था, कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा। हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमें यह फैसला लेने के लिए मजबूर किया गया।
नीतीश के मुताबिक, भाजपा नये दौर से गुजर रही है। जब तक बिहार में गठबंधन पर कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं था, यह सहजता से चलता रहा। दिक्कतें उस समय शुरू हुईं जब बाहरी हस्तक्षेप होने लगा।
गोवा में भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक में मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने के एक सप्ताह बाद जदयू ने अपने फैसले की घोषणा की जबकि पार्टी ने कुछ ही समय पहले अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भाजपा से दिसंबर तक अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय करने के लिए कहा था।
जदयू और नीतीश कुमार पिछले काफी समय से अनेक मौकों पर सीधे तौर पर मोदी पर अपना विरोध जाहिर करते रहे हैं। नीतीश ने तीन साल पहले मोदी की मौजूदगी के कारण लालकृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के आला नेताओं के साथ रात्रिभोज में भाग नहीं लिया था। जब नीतीश कुमार से पूछा गया कि क्या वह नरेंद्र मोदी का जिक्र कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, समझने वाले समझ गये जो ना समझे वो अनाड़ी हैं।
भाजपा में मोदी को नयी जिम्मेदारी मिलने का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब अतीत में अरूण जेटली और दिवंगत नेता प्रमोद महाजन को अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था तो कोई दिक्कत नहीं थी।