इमालवा – नई दिल्ली | भारत अपने महत्वाकांक्षी मिसाइल कार्यक्रमों को आगे बढाने के लिए दो नए परीक्षण स्थल बनाने जा रहा है। ये दो नए परीक्षण स्थल सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं और इनसे हिंद महासागर में भारत का वर्चस्व कायम रखने में मदद मिलेगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इन दोनों परीक्षण स्थलों की निशानदेही कर ली है और टेस्ट रेंज के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण का काम जारी है।
इनमें से एक परीक्षण स्थल आंध्र प्रदेश के तटीय कृष्णा जिले में बनाने का प्रस्ताव है, जो कृष्णा नदी के समीपवर्ती इलाके में नागएलांका में होगा, जबकि दूसरा अंड़मान निकोबार द्वीप समूह के रटलैंड द्वीप पर बनाया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि दोनों परियोजनाएं फिलहाल पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा राजस्व विभाग के चक्कर काट रही हैं। डीआरडीओ ने आंध्र प्रदेश सरकार से नागएलांका क्षेत्र में गैर आरक्षित भूमि इस परीक्षण स्थल के लिए उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
सूत्रों बताया कि रटलैंड द्वीप के वनों को अन्यत्र ले जाने का प्रस्ताव है और इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति मांगी गई है। दोनों परीक्षण स्थलों के विकास के बाद भारत के पास मिसाइल परीक्षणों के लिए तीन टेस्ट रेंज हो जाएंगे। अभी तक रक्षा वैज्ञानिकों को ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज पर ही निर्भर होना पड रहा है। मिसाइलों के परीक्षण में स्थानीय राजनीति से लेकर पर्यावरण संबंधी अनेक मुद्दों से भी वैग्यानिकों को जूझना पडता है।
दो नए मिसाइल परीक्षण स्थलों के विकास को हिंद महासागर में चीन की बढती दिलचस्पी के उत्तर के तौर पर भी देखा जा रहा है। ये दोनों टेस्ट रेंज सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण अंड़मान एवं निकोबार द्वीप समूह की रखवाली में भी सहायक साबित होंगे और भविष्य में चीन की ओर से मिलने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने में सशस्त्र बलों के लिए सहायक साबित होंगे।