भारतीय स्‍टूडेंट्स का पसंदीदा देश ऑस्ट्रेलिया

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विदेशों में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों ने वर्ष 2009 और 2010 में हुए कई नस्ली हमलों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका के बाद दूसरे सर्वाधिक पसंदीदा देश के तौर पर चुना है। वैसे 62 फीसदी भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया अब भी छात्रों के लिए खतरनाक स्थान लगता है।भारतीय छात्रों की यह पसंद एक ताजा रायशुमारी के आज जारी नतीजों के आधार पर सामने आई है। यह रायशुमारी ल… भारतीय स्‍टूडेंट्स का पसंदीदा देश ऑस्ट्रेलिया

विदेशों में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों ने वर्ष 2009 और 2010 में हुए कई नस्ली हमलों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका के बाद दूसरे सर्वाधिक पसंदीदा देश के तौर पर चुना है। वैसे 62 फीसदी भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया अब भी छात्रों के लिए खतरनाक स्थान लगता है।भारतीय छात्रों की यह पसंद एक ताजा रायशुमारी के आज जारी नतीजों के आधार पर सामने आई है। यह रायशुमारी लोवी इन्स्टीट्यूट और ऑस्ट्रेलिया इंडिया इन्स्टीट्यूट ने कराई है। रायशुमारी में पाया गया कि 75 फीसदी प्रतिभागी मानते हैं कि पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया एक बेहतर देश है। रायशुमारी में पहला स्थान अमेरिका को और दूसरा स्थान ऑस्ट्रेलिया को मिला है।अध्ययन के सह लेखक और लोवी इन्स्टीट्यूट के निर्देशक प्रो रोरी मेडकाफ ने कहा इससे जाहिर होता है कि आम भारतीय यहां हुई घटनाओं के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को पसंद करते हैं। घटनाओं से तात्पर्य ऑस्ट्रेलिया में अध्ययनरत भारतीय छात्रों पर वर्ष 2009 और 2010 में हुए हमले से है। हालांकि इन हमलों का भी ऑस्ट्रेलिया के बारे में भारतीयों की राय पर असर पड़ा है।रायशुमारी में पाया गया कि 62 फीसदी भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया अब भी छात्रों के लिए खतरनाक स्थान लगता है। साथ ही 61 फीसदी लोगों की राय थी कि हमले नस्ल आधारित थे। रायशुमारी में भाग लेने वाले 1233 वयस्कों में से 60 फीसदी ने कहा कि वह चाहेंगे कि भारत सरकार और भारतीय समाज ऑस्ट्रेलिया की तरह हो।कुल मिला कर भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया को शीर्ष चार देशों में जगह दी। इन चार देशों में ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर भी हैं। रायशुमारी के अनुसार, भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई संबंधों के लिए शिक्षा, लोकतंत्र और क्रिकेट महत्वपूर्ण आधार हैं।मेडकाफ ने कहा संबंधों में कहीं कहीं कुछ कमजोरी अब भी है और अगर कोई संकट आता है तो नस्लवाद और खतरे जैसे मुद्दों के हावी होने में समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया-भारत के रिश्तों में पांच साल पहले की तुलना में अब सबसे बड़ा अंतर यह है कि संबंधों की विशेषताएं उभर चुकी हैं। इसके साथ ही मेडकाफ ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम एक मायने में अब भी अच्छी है और इससे भारत में ऑस्ट्रेलिया की एक सकारात्मक छवि उभरती है।’रायशुमारी में यह भी पाया गया कि अगर ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट के लिए भारत की तरह ही दीवानगी नहीं होती तो शायद भारतीयों की भी दिलचस्पी इस देश में नहीं होती।