भारत के दबदबे को तोड़ने के लिए PAK की एक नई जुगत

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पाकिस्तान का आरोप है कि 8 सदस्यीय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) पर भारत का दबदबा है और उसका कहना है कि इसे तोड़ने के लिए वृहद दक्षिण एशियाई आर्थिक समूह बनाने की जरुरत है।

अमरीकी में गत सप्ताह वाशिंगटन के 5 दिवसीय दौरे पर गई पाकिस्तान के एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने यह बात कही। पाकिस्तान के सांसद मुशाहिद हुसैन सैयद ने मीडिया से बातचीत में कहा, एक वृहद दक्षिण एशिया का पहले ही निर्माण हो रहा है। इस वृहद दक्षिण एशिया में चीन, ईरान और पड़ोसी मध्य एशियाई देश शामिल है। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को दक्षिण एशिया को मध्य एशिया से जोड़ने वाला मुख्य आर्थिक मार्ग बताया । उन्होंने कहा कि ग्वादर बंदरगाह न केवल चीन के नजदीक है बल्कि मध्य एशियाई देशों के भी करीब है। हुसैन ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत भी इस व्यवस्था का हिस्सा बने।

गौरतलब है कि भारत ने उरी आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता का हवाला देते हुए इस्लामाबाद में होने वाले 19वें दक्षेस सम्मेलन में भाग न लेने की घोषणा की थी। इसके बाद अफगानिस्तान, बंगलादेश और भूटान ने भी सम्मेलन का बहिष्कार किया था जिसके कारण दक्षेस शिखर बैठक को स्थगित करना पड़ा। दक्षेस के 8 सदस्यीय देशों में से अफगानिस्तान और बंगलादेश के भारत से मजबूत संबंध है जबकि चारों तरफ भारतीय सीमा से घिरा भूटान भी भारत के फैसले से इंकार नहीं कर सकता।

एक वरिष्ठ राजनयिक ने पाकिस्तान द्वारा एक नया समूह बनाने की तैयारी की पुष्टि करते हुए कहा, स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान को यह पता चल गया कि दक्षेस पर हमेशा भारत का प्रभुत्व रहेगा इसलिए वे अब वृहद दक्षिण एशिया के बारे में बात कर रहे हैं। एक अन्य राजनयिक ने कहा,पाकिस्तान को उम्मीद है कि जब भारत कोई निर्णय उस पर थोपने की कोशिश करेगा तो इस नई व्यवस्था से उसके पास और दांव होंगे।

वाशिंगटन में कूटनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि यह प्रस्तावित व्यवस्था चीन के अनुकूल भी है क्योंकि वह इस क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि मध्य एशियाई देशों और ईरान को इस नए समूह का हिस्सा बनाने में चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है लेकिन दक्षेस सदस्यों के इस नई व्यवस्था का हिस्सा बनने की संभावना कम है। मध्य एशियाई देश होने के कारण अफगानिस्तान के लिए यह नई व्यवस्था अच्छी साबित हो सकती है लेकिन उसके भारत की नाराजगी मोल लेकर इसका हिस्सा बनने की संभावना बेहद कम है। एक दक्षिण एशियाई राजनयिक ने कहा कि अगर वृहद दक्षिण एशिया बनता है तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इसके सदस्य भारत के साथ विवाद में पाकिस्तान का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा, भारत और ईरान से मजबूत संबंध रखने वाले कई मध्य एशियाई देशों की पाकिस्तान के साथ भी समस्याएं हैं।