उत्तर भारत में जहां मानसून का बड़ी बेसब्री से इंजतार हो रहा है, वहां श्रीलंका में मानसून के जाने की लोग दुआ मांग रहे हैं। श्रीलंका में तूफानी मानसून के कारण अब तक 27 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस तूफानी मानसून में मरने वाले ज्यादातर मछुआरे हैं।दरअसल, दक्षिण-पश्चिमी मानसून के कारण गत शुक्रवार से श्रीलंका में बड़ी-बड़ी ल…
उत्तर भारत में जहां मानसून का बड़ी बेसब्री से इंजतार हो रहा है, वहां श्रीलंका में मानसून के जाने की लोग दुआ मांग रहे हैं। श्रीलंका में तूफानी मानसून के कारण अब तक 27 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस तूफानी मानसून में मरने वाले ज्यादातर मछुआरे हैं।दरअसल, दक्षिण-पश्चिमी मानसून के कारण गत शुक्रवार से श्रीलंका में बड़ी-बड़ी लहरें उठ रही हैं। लगातार हो रही बारिश से मौसम बेहद खराब होता जा रहा है और इस दौरान मछली पकड़ने जा रहे मछुआरे मुसीबत में फंस रहे हैं। इस पानी की आफत ने अभी तक लगभग 27 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है।यहां मरने वालों की संख्या में अभी और इजाफा होगा, यह तय माना जा रहा है, क्योंकि आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल 37 मछुआरे और मछली मारने वाली 43 नौकाएं लापता हैं। मत्स्य विभाग के उपमंत्री सरथ कुमार गुनरत्ने ने कहा कि मारे गए मछुआरों के परिवारों को सरकार सहायता मुहैया कराएगी।लापता मछुआरों को खोजी दस्ता ढूंढ रहा है, पर सूत्रों की मानें तो इनकी खोज करना अब बेकार है। एक अनुमान के अनुसार ये लापता मछुआरों भी अब तक तूफानी मानसून की भेंट चढ़ चुके होंगे। आपदा प्रबंधन केन्द्र के प्रवक्ता सरथ लाल कुमार ने बताया कि इस मौसम से 772 परिवार (1,446लोग) प्रभावित हुए हैं। कुमार ने कहा कि हमने उनके लिए पांच राहत केन्द्र खोले हैं। शुक्रवार से ही श्रीलंकाई नौसेना और वायुसेना दक्षिण-पश्चिमी तटवर्ती इलाकों में लापता हुए मछुआरों को बचाने के प्रयास में जुटी हुई है।इस पूरी घटना पर अब राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे के कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रपति ने आपदा प्रबंधन मंत्री को आदेश दिया है कि वह मौसम विभाग की संभव लापरवाही की जांच करे।बताया जा रहा है कि मछुआरों को पहले से सूचना नहीं दी गई थी कि मानसून की वजह से समुद्र में तूफान जैसे हालत पैदा हो सकते हैं। इसलिए मछुआरे समुद्र में उतर गए और तूफानी मानसून की चपेट में आ गए।