इटली के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत में हत्या के आरोपों का सामना कर रहे इतालवी मरीन भारत वापस नहीं लौटेंगे।
इटली के विदेश मंत्रालय के मुताबिक उसने भारत को इस बारे में औपचारिक जानकारी दे दी है। इटली का कहना है कि उसने भारत से आग्रह किया गया था कि वो मामले का कूटनीतिक हल ढूँढे लेकिन भारत ने जवाब नहीं दिया।
इटली के सैनिकों पर आरोप है कि एक साल पहले उन्होंने दो भारतीय मछुआरों को गाली मार दी थी। ये सैनिक इटली के एक जहाज़ पर तैनात थे ताकि उसे समुद्री लुटेरों से बचा सकें।
क्या था मामला
जबकि नौसैनिकों का कहना है कि उन्होंने हिंद सागर में भारतीय मछुआरों को समुद्री लुटेरे समझ कर उन पर गोलियां चला दीं थी।
हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए दोनों इतालवी नौसैनिकों को पिछले साल भारत में हिरासत में ले लिया गया था।
इटली में आम चुनाव में मतदान करने के लिए इन दोनों को अपने देश जाने की अनुमति मिली थी।
इससे पहले दिसंबर 2012 में भी उन्हें क्रिसमस मनाने के लिए इटली जाने की अनुमति भी मिली थी जिसके बाद वे भारत लौट आए थे। तब केरल हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार दोनों इतालवी नौसैनिकों ने छह करोड़ रुपये की बैंक गांरटी दी थी और दो हफ्तों के भीतर भारत वापस आना होने का लिखित आश्वासन दिया था।
मछुआरों के परिवारवालों से हुए एक समझौते के तहत इटली की सरकार ने मारे गए दोनों मछुआरों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषण की थी, लेकिन अब ये मामला दोनों देशों के बीच एक राजनयिक विवाद का रूप ले चुका है।
राजनयिक विवाद
पिछले साल इतालवी प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि उनके नौसैनिकों पर मुकदमा न चलाया जाए।
इटली का मानना है कि ये पूरी घटना अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में हुई और ये मामला भारतीय अदालतों के कार्यक्षेत्रों से बाहर है लेकिन भारत इससे सहमत नहीं है।
विरोध जताने के लिए पिछले साल इटली ने भारत से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।
इटली चाहता है कि उसके सैनिकों पर मुकदमा इटली में ही चले। ये मरीन ज़मानत पर बाहर थे और अपने मुकदमे का इंतज़ार कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में कहा था कि उनके खिलाफ दिल्ली की विशेष अदालत में मामला चलेगा।