मध्यप्रदेश के कांग्रेस विधायक एवं विपक्ष के उपनेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी विधानसभा में कांग्रेस द्वारा भाजपा सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने के बाद प्रदेश भाजपा में शामिल हो गए.
चतुर्वेदी ने भाजपा में शामिल होने के अवसर पर प्रदेश भाजपा कार्यालय पर संवाददाताओं से कहा कि जिस प्रकार कांग्रेस पार्टी अपने अविश्वास प्रस्ताव में कई जरूरी मुद्दों को छोड़ रही थी, उससे वह आहत महसूस कर रहे थे.
उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा ‘ट्विटर’ पर की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि उनका यह कहना, ‘बच्चा-बच्चा राम का, राघवजी के काम का’ इस देश के अस्सी प्रतिशत हिन्दुओं का अपमान है.
उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस में रहते हुए सदा ही सिद्धांतों और विचारों की राजनीति करते रहे हैं, लेकिन केवल वोट की राजनीति के लिए पार्टी के एक वरिष्ठ नेता द्वारा सार्वजनिक रूप से ऐसी ओछी टिप्पणी करना उचित नहीं मानते हैं.
चतुर्वेदी ने कहा कि सिद्धांतों और संस्कार की राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने उनका साथ दिया. इसके लिए वह उनका आभार प्रकट करते हैं और भाजपा उनकी जहां उपयोगिता समझेगी, वह वहां काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि उनके पिता चौधरी दिलीप सिंह भी भाजपा से विधायक रहे हैं और वर्ष 1980 में खुद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उनके पिता को बुलाकर पार्टी की टिकट दी थी.
मुख्यमंत्री चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि सिद्धांत को लेकर चतुर्वेदी ने जैसा रवैया अपनाया है, वह उनका स्वागत करते हैं और बधाई देते हैं.
उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब विपक्ष द्वारा विधानसभा में सरकार के खिलाफ प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव का खुद विपक्ष के उपनेता ने ही विरोध किया है.
चतुर्वेदी संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर सिद्धांत और संस्कार की बात की है और कांग्रेस में अपना लंबा ‘राजनीतिक कैरियर’ दांव पर लगा दिया, ऐसे व्यक्ति का वह स्वागत करते हैं.
उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने संसदीय परंपराओं और नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सदन में जो कुछ हुआ, वह कतई अससंदीय नहीं था. विपक्ष के नेता को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखने से पहले अपने विधायक दल में ही विश्वास मत जीतना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि सदन में जब विपक्ष का उपनेता ही अपने दल द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने खड़ा हो जाए, तो फिर यह प्रस्ताव अपने आप ही शून्य हो जाता है. इसलिए वह दावे के साथ कह सकते हैं कि सदन की कार्यवाही पूरी तरह नियम और प्रक्रियाओं के तहत चली है.
उन्होंने कहा कि सदन में किसी तरह भी संसदीय मर्यादा पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा है.
एक सवाल के जवाब में विजयवर्गीय ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के बिन्दुओं को लेकर यदि कांग्रेस जनता के बीच जाएगी, तो हम भी हर स्तर पर उसका करारा जवाब देंगे.