धर्म के आडम्बर को समाप्त करता है कबीर का साहित्य एवं दर्शन

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कबीर के बताये मार्ग एवं उनके साहित्य दर्शन के अनुरूप दुनिया चले तो सारी समस्याओं का स्वमेव हल निकल आएगा। कबीर दास जी ने कहा था ‘चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय-माला फेरत जुग भया फिरा न मनका फेर, कर का मनका डार दें, मनका मनका फेर” ऐसा दर्शन पूरे जीवन का सार है। इस सार को जीवन में उतारने और सरकार चलाने का प्रयास करूँगा। यह बात मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उमरिया जिले के ताला में सदगुरू कबीर धर्मदास वंशावली पंच शताब्दी महोत्सव में कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म के आडम्बर को समाप्त करता है कबीर का साहित्य एवं दर्शन। जरूरत इस बात की है कि उनके दिखाए हुए मार्गों को अंगीकार कर समाज-सेवा में जुटा जाये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं कबीर साहित्य का अध्ययन बचपन से करता रहा हूँ और उसे अपने जीवन में ढालने में प्रयास भी किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ताला कबीर पंथियों की आस्था का केंद्र बन चुका है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कबीर जन्म-स्थली का मुख्य भाग, जो राजस्व की सीमा में आता है, उसे समर्पित किया जाएगा। साथ ही बाउण्ड्री वाल, पानी की टंकी एवं शौचालय का निर्माण भी करवाया जाएगा। उन्होंने कबीर साहेब के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कामना की कि वे ज्ञान का प्रकाश देते रहे ताकि मानव के कल्याण का कार्य तेज गति से करने की क्षमता प्राप्त हो सके।

मुख्यमंत्री ने प्रकाशमणि साहेब का स्वागत करते हुए विभिन्न प्रांतों से आये मेहमानों का भी स्वागत किया। उन्होंने गुरूदेव के चरणों में प्रणाम करते हुए साहेब बंदिगी साहेब से अपनी बात समाप्त की। प्रकाशमणि साहेब ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को शाल, श्रीफल से सम्मानित करते हुए साहित्य भेंट किया।

प्रारंभ में गुरू प्रकाशमणि साहेब ने कबीर पंथियों की ओर से मुख्यमंत्री एवं समारोह में आये मंत्रीगण, जन-प्रतिनिधियों एवं श्रद्धालुओं का स्वागत किया।

इस अवसर पर कबीर प्रमुख आचार्य प्रकाशमणि साहेब, महंत कानपुर गुरू दयाल साहेब, सांसद श्री ज्ञानसिंह, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री श्री संजय पाठक, राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन श्री लाल सिंह आर्य, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष श्री प्रदीप पटेल, विधायक सुश्री मीना सिंह, जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री राम किशोर चतुर्वेदी, मनीष सिंह, मौजीलाल चौधरी, उमा महोबिया और विष्णु भारती, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आये कबीर अनुयायी उपस्थित रहे।