होशंगाबाद/खरगोन। नर्मदा नदी में आचमन करने वालों के लिए यह खुश खबरी है। नर्मदा जल में अब प्रदूषण कम हुआ है। मप्र नियंत्रण बोर्ड ने होशंगाबाद से बुदनी तक लिए नर्मदा सैंपल में यहां के जल को ए श्रेणी में रखा है। पिछले तीन सालों से यह सी श्रेणी में था। ए श्रेणी में आने से लोग अब जल का आचमन कर सकते हैं और इनडोर बाथिंग कर सकते हैं।
होशंगाबाद में नर्मदा को नालों के मिलने से किनारों पर प्रदूषित हो रही है। कुछ समय से कोरीघाट का नाला बंद है तथा एसपीएम नाले का पानी भी फिल्टर होकर आ रहा है। इससे नर्मदा जल पर असर हुआ है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिसंबर में जल की जांच की तो इसे ए श्रेणी में पाया।
बोर्ड के चीफ केमिकल स्पेशलिस्ट एसएन पाटिल ने भास्कर को बताया कि नर्मदा सी श्रेणी से बहुत बाहर आ गई है। वहीं, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, राजघाट बड़वानी, पुनासा डेम और मोरटक्का क्षेत्र भी बी श्रेणी से मुक्त होकर ए श्रेणी में आ गए हैं।
गंदे पानी के बहाव के दौरान ही होगा ट्रीटमेंट
ओंकारेश्वर, महेश्वर और मंडलेश्वर में सीवेज का पानी नर्मदा में जाने से रोकने में असमर्थ होने के बाद मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पुणे कंपनी सेरी से पूरे क्षेत्र का सर्वे कराया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक सुनील श्रीवास्तव के अनुसार कंपनी विशेष तकनीक के जरिए गंदे नाले में बहते पानी का ही ट्रीटमेंट कर देगी। इस प्लान पर काम किया जा रहा है।
यह होगा फायदा
> ए श्रेणी में नर्मदा का पानी साफ सुथरा हो जाता है। इसे फिल्टर करके पी सकते हैं।
> पानी साफ होने से बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है। चर्म रोग भी नहीं होता है।
> नर्मदा किनारे उपजाऊ भूमि पर लगी सब्जियाें को नुकसान नहीं होगा।
> पानी साफ होने से बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है। चर्म रोग भी नहीं होता है।
> नर्मदा किनारे उपजाऊ भूमि पर लगी सब्जियाें को नुकसान नहीं होगा।
पहले से स्थिति सुधरी
^ नर्मदा के पानी में पहले से ज्यादा सुधार हुआ है। हर माह सैंपल लिए जा रहे हैं। इसमें पानी साफ होता जा रहा है। जनवरी की रिपोर्ट भी ऐसे ही है। नालों का पानी मिलना बंद हो जाए तो नर्मदा जल और शुद्ध हो सकता है।’
– संगीता डानी, साइंटिस्ट, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल
– संगीता डानी, साइंटिस्ट, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल