इमालवा-राजगढ़। मोहनखेड़ा तीर्थ पर 130 वर्षों के इतिहास में पहली बार तीन दीक्षार्थी एक साथ दीक्षा ग्रहण कर मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हो रही हैं। तीर्थ पर अभी तक 15 दीक्षाएं हो चुकी हैं। दीक्षार्थियों का राजगढ़ में रविवार को वर्षीदान चल समारोह निकला। आचार्य रवींद्रसूरीश्वरजी की निश्रा में सोमवार प्रातः विधिपूर्वक दीक्षाविधि होगी। नूतन दीक्षार्थियों के नामकरण की घोषणा दीक्षा के बाद होगी।
मुनिश्री ऋषभचंद्रविजयजी विद्यार्थी ने बताया कि तीर्थ पुण्य भूमि पर आराधना करने से धर्म मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। तीनों दीक्षार्थी ने चातुर्मास अवधि में तीर्थ पर रहकर धर्म आराधना की थी।
माता-पिता की जानकारी नहीं
गीता जैन
माता-पिता की जानकारी नहीं है। सवा माह की उम्र में ही मां ने छोड़ दिया था। बुआ ने एक साध्वी को अर्पित कर दिया। साध्वीजी के निधन पर अन्य आचार्य के माध्यम से छह वर्ष की उम्र में साध्वी हर्षवर्धनाश्रीजी के संपर्क में आई। मोहनखेड़ा के स्कूल में शिक्षित दिनभर पढ़ाई व मंदिर में मन लगा रहता है।
धर्म आराधना में लगा रहा मन
मोनिका जैन
प्रारंभ से ही धर्म आराधना में मन लगा रहा। परिवार में भी धार्मिक माहौल मिला। जावरा के पास ग्राम रियावन में जन्म। वहीं के शासकीय स्कूल में आठवीं तक अध्ययन। गत 18 माह से वैराग्य जीवन धारण कर रखा है। अब सांसारिक नाते-रिश्तेदार याद नहीं आते। साध्वी रश्मी रेखाश्रीजी की शिष्या बनेंगी।
धीरे-धीरे बढ़ा आध्यात्म की ओर रुझान
श्रेष्ठा जैन
मोहनखेड़ा तीर्थ पर शताब्दी समारोह के आयोजन में साध्वी रश्मीरेखाश्रीजी के संपर्क में आई। इसके बाद धीरे-धीरे आध्यात्म की ओर रुझान बढ़ा। गुजरात के बनास कांठा जिले के ग्राम वासना में जन्म, डीसा के सरकारी स्कूल में आठवीं तक पढ़ाई की। साध्वी रश्मीरेखाश्रीजी की शिष्या बनेंगी।