भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि मध्यप्रदेश के स्कूलों में अगले वर्ष से नैतिक शिक्षा एक विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी, जिसमें विभिन्न धर्मों की अच्छी बातें शामिल रहेंगी। चौहान यहां आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से 14 शिक्षकों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये शिक्षाविदों से सुझाव प्राप्त करने की व्यवस्था की जाएगी। स्कूली शिक्षा में पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा पुन शुरु करने के बारे में केन्द्र सरकार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान कौशल और नागरिकता की संस्कार देना है। मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम शिक्षक करता है। बदलते समय में समाज में शिक्षकों का सम्मान बढऩा चाहिए वहीं शिक्षकों को अपने कर्तव्यों के पालन पर अधिक ध्यान देना चाहए।
शिक्षकों का काम एक मिशन है जो देश और प्रदशे का भविष्य बनाता है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने कहा कि देश की वर्तमानआवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था होना चाहिए। गुरू-शिष्य की श्रेष्ठ परम्परा हमारे देश में स्थापित है। स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने कहा कि स्कूल चलें हम अभियान को शिक्षकों ने सफल बनाया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि शिक्षक नई पीढ़ी को ज्ञान देता है और ज्ञान का कोई मोल नहीं होता। वर्तमान समय में संस्कृति की रक्षा पर ध्यान दिया जाए। आदिम जाति कल्याण मंत्री ज्ञान सिंह ने कहा कि शिक्षक सत्य मार्ग पर चलने की शक्ति देता है। शिक्षा जीवन में आगे बढऩे का मार्ग बताती है। कार्यक्रम में राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को शाल श्रीफल प्रशस्ति पत्र सहित 25 हजार रुपए भेंट कर सम्मानित किया गया। पिछले वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों के अलावा राज्य स्तरीय शैक्षिक संगोष्ठी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले एक-एक शिक्षकों का सम्मान भी किया गया।