दो जुड़वां बहनों ने चूम ली दुनिया की सबसे ऊंची चोटी

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इमालवा- नई दिल्ली। उत्तराखंड की बेटियों ने एक बार फिर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। देहरादून की रहने वाली जुड़वां बहनों ताशी व नुंग्शी मलिक ने रविवार सुबह साढ़े सात बजे एवरेस्ट पर कदम रखा। यह पहला मौका है जब जुड़वा बहनों ने एक साथ यह उपलब्धि हासिल की। इस दौरान उनके साथ पाकिस्तान की सबीना व उनके भाई मिर्जा बेग भी थे। 22 वर्षीय सबीना एवरेस्ट फतेह करने वाली पाकिस्तान की पहली महिला हैं। वहीं हादसे में अपना एक पांव खो चुकीं अरुणिमा संभवत: सोमवार को एवरेस्ट पर पहुंच सकती हैं। ऐसा करने वालीं वह भारत की पहली विकलांग प्रतिभागी होंगी। दूसरी तरफ ब्रिटिश पर्वतारोही केंटन कूल ने रिकॉर्ड 11वीं बार माउंट एवरेस्ट को फतह करने में सफलता हासिल की।

कुटालवाली जोहड़ी गांव की रहने वाली 21 वर्षीय जुड़वां बहनें ताशी व नुंग्शी के पिता वीरेंद्र सिंह मलिक सेना से रिटायर्ड कर्नल हैं। इनका अभियान आठ मार्च को शुरू हुआ। इनके दल ने दस मार्च को पोखरा (नेपाल) में कैंप किया। यहां दो सप्ताह तक ट्रैकिंग अभ्यास करने के बाद दल 22 मार्च को काठमांडू पहुंचा। काठमांडू से तीन अप्रैल को नेपाल में भारत के राजदूत जयंत प्रकाश ने दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

आठ दिन लगातार ट्रैकिंग करते हुए इन्होंने 11 अप्रैल को लगभग 18 हजार फीट पर एवरेस्ट के बेस कैंप पर डेरा डाला। इससे पहले ताशी व नुंग्शी जनवरी, 2012 में अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वतचोटी किलीमंजारो को फतह कर चुकी हैं। उत्तराखंड से इससे पहले बछेंद्री पाल, सुमनलता कुटियाल, सविता मर्तोलिया और कविता बुढ़ाठोकी एवरेस्ट शिखर पर पहुंच चुकी हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की वॉलीबाल खिलाड़ी अरुणिमा कुछ साल पहले ट्रेन हादसे में अपना एक पांव खो चुकी हैं। असीम साहस का परिचय देते हुए वह कृत्रिम पैर की मदद से एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रही हैं।