रतलाम। भारतीय रेल में आपका स्वागत हैं। आपकी यात्रा सुखद व सुरक्षित हो। यह लाइन भले अनेक बार रेल यात्रा के समय सुनी होगी, लेकिन इसमे से सुरक्षित शब्द पर भरोसा न करे। असल में ट्रेन में आग लग जाए तो उसको बुझाने के लिए यंत्र तो है, लेकिन उसको चलाने का प्रशिक्षण नही दिया जाता हैं। ऐसे में यात्री अपनी जिम्मेदारी से ही यात्रा करे। एक बार की यात्रा में करीब 1200 से कुछ अधिक यात्री ट्रेन में रहते हैं।
कुछ समय पूर्व मुंबई के करीब देहरादुन एक्सपे्रस ट्रेन के एसी बोगी में परदो में आग लगने की घटना हुई थी। उसके बाद से रेलवे ने पर्दे हटाने का निर्णय तो लिया, लेकिन अब तक वातानुकूलित शयनयान बोगी में सफर करने वाले यात्रियों को सुरक्षित यात्रा देने में सफल नही हो पाई हैं।
नही दिया किसी को प्रशिक्षण
ट्रेन की एसी बोगी में टिकट निरीक्षक के अलावा एसी ठीक करने वाला मेकेनिक साथ में चलता हैं। इस कर्मचारी का काम यात्रा के दौरान एसी को कम-अधिक करना या किसी प्रकार की तकनीकी गड़बड़ी को होने पर उसको सुधारना होता हैं। इनमे से किसी भी श्रेणी के कर्मचारी को अग्निशमन यंत्र का उपयोग करना नही आता हैं। पत्रिका ने मंगलवार को मुंबई-अमृतसर स्वर्णमंदिर एक्सपे्रस, देहरादुन एक्सपे्रस, अवध एक्सप्रेस आदि में जाकर जब इन कर्मचारियों से सवाल किया कि किसी ने यंत्र को चलाने का प्रशिक्षण लिया है, या रेलवे ने कोई प्रशिक्षण दिया है तो सभी ने इससे इंकार किया।
फिर नही पता क्या करेंगे हम
आग लगी तो उसको बुझाने के लिए यंत्र तो है, लेकिन इसका उपयोग करना नही आता हैं। इस बारे में कभी प्रशिक्षण नही दिया गया। आग लगी तो फिर क्या करेंगे, इस बारे में नही सोचा।
-उपेंद्र कुमार, देहरादुन ट्रेन में एसी अटेंडर