जिला पंचायत में नए समीकरण : बहुमत में आई कांग्रेस, भाजपा में मची खलबली

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रतलाम। जिला पंचायत के नए राजनीतिक समीकरण ने भाजपा में खलबली मचा दी है। जिपं अध्यक्ष चुनाव में भाजपा के साथ रही जिपं सदस्य आशा बंटी नागर ने गुरुवार को कांग्रेस की सदस्यता ले ली। इसके बाद जिला पंचायत बोर्ड में कांग्रेस का बहुमत हो गया। जिपं की सामान्य प्रशासन समिति सहित 5 विभागीय समितियों पर भी कांग्रेस का कब्जा हो गया। नए हालात के बाद अब भाजपा का जिपं अध्यक्ष होने के बावजूद कमान कांग्रेस के हाथ में रहेगी।

गुरुवार को जिपं में 5 विभागीय समितियों के अध्यक्षों के चुनाव होना थे। भाजपा के पास किसी भी समिति में तीन सदस्य नहीं थे लिहाजा उनकी ओर से कोई नामांकन दाखिल नहीं किया गया। कृषि, संचार एवं सकर्म, स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास और वन समिति में कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष बने जबकि सहकारिता एवं उद्योग समिति में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती आशा बंटी नागर को अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया।

आशा बंटी नागर ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा का साथ दिया था और उन्हीं के वोट के कारण भाजपा अध्यक्ष चुनाव में बराबर (8-8 वोट) की स्थिति में आई थी। बाद में पर्ची से परमेश मईडा को अध्यक्ष चुना गया। समितियों के अध्यक्ष चुनाव के तत्काल बाद आशा बंटी नागर ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।

उपाध्यक्ष-एडीएम के बीच बहस जिपं की विभागीय समिति सदस्यों के बीच अध्यक्ष का चुनाव कराने पंहुचे एडीएम कैलाश वानखेड़े और जिपं उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ के बीच चुनाव प्रक्रिया के दौरान जमकर बहस हुई। बहस का कारण वही था जिस पर उज्जैन जिला पंचायत में भी कांग्रेस-भाजपा नेताओं के बीच मारपीट हुई थी।

सामान्य प्रशासन समिति में सदस्य पद के लिए सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक राजेंद्र पांडे ने भी जिपं में पत्र भेजे थे। एडीएम ने इन पत्रों के प्राप्त होने की जानकारी समिति सदस्यों को दी। उपाध्यक्ष की इस पर आपत्ति थी, उनका कहना था पंचायत राज अधिनियम के तहत सांसद, विधायक सामान्य प्रशासन समिति के सदस्य नहीं बनाए जा सकते। अंतत: एडीएम ने इस पर फैसला जिपं सीईओ हरजिंदर सिंह के वापस लौटने तक के लिए टाल दिया।

क्यों छोड़ा साथ –

जिपं सदस्य आशा बंटी नागर के अनुसार वे कभी भी भाजपा की अधिकृत सदस्य नहीं रहीं। निर्दलीय चुनाव लड़ा और अध्यक्ष चुनाव में इस उद्देश्य से भाजपा का साथ दिया था कि उनके क्षेत्र में विकास कार्य होंगे। बाद में भाजपा के ही सदस्यों ने अनर्गल आरोप लगाकर अपमानित करना शुरू कर दिया। क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस का साथ देना पसंद किया।

कांग्रेस में लाने की पहले से बन चुकी थी भूमिका :

आशा नागर को कांग्रेस में लाने की भूमिका पहले से बन चुकी थी। अध्यक्ष चुनाव में नारायण मईड़ा और परमेश मईड़ा को बराबर मत मिले थे जबकि उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस के डीपी धाकड़ को अधिक मत मिले थे। साफ था कि किसी एक ने भाजपा प्रत्याशी का साथ नहीं दिया था। बाद में कांग्रेस की मदद से ही आशा नागर को जियोस समिति के लिए चुना गया।

अब आगे क्या :

मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम के तहत 6 माह की अवधि के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है।

इसके लिए उसे दो तिहाई बहुमत यानी 13 सदस्य जुटाने होंगे। एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद इसे दोबारा ढाई साल तक नहीं लाया जा सकता। लिहाजा फिलहाल अध्यक्ष परमेश मईडा की कुर्सी को खतरा नहीं है।

जिपं साधारण सभा में किसी भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर कांग्रेस अपनी मर्जी से पारित अथवा निरस्त कर सकती है।

परफार्मेंस ग्रांट की राशि का मसला सामान्य प्रशासन समिति के पास होता है लिहाजा इस रकम के बंटवारे में कांग्रेस भारी रहेगी।

अध्यक्ष के नाते परमेश मईडा साधारण सभा में अधिकारियों से सीधे मुखातिब हो सकेंगे और निर्देश दे सकेंगे।

विभागीय समितियों से तैयार होकर साधारण सभा में आने वाले प्रस्तावों में भी कांग्रेस सदस्यों की ही चलेगी।

नए समीकरण

जिपं में कांग्रेस के 6, जेडीयू के 2 और अब 1 निर्दलीय आशा नागर एक साथ हैं।

16 सदस्यीय बोर्ड में भाजपा के 6 व एक निर्दलीय भंवरसिंह साथ हैं।

जिपं की 5 विभागीय समितियों में कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।

शिक्षा समिति में कांग्रेस सदस्य व जिपं उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ पदेन अध्यक्ष हैं।

सभी विभागीय समितियों के अध्यक्षों को मिलाकर बनने वाली सामान्य प्रशासन समिति में अध्यक्ष परमेश मईडा के अलावा शेष 6 सदस्य कांग्रेस से हैं।