प्रतिनिधित्व नहीं मिलने की दशा में प्रदेश में बड़ा उलटफेर कर सकता है अल्पसंख्यक समाज

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इमालवा – रतलाम | देश की आज़ादी से लगाकर अभी तक आँख मूंदकर कांग्रेस का समर्थन कर रहा प्रदेश का मुस्लिम समुदाय अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगा है | समाज का प्रबुद्ध वर्ग प्रदेश विधानसभा एवं संसद में अनुपातिक रूप से समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाने से खिन्न है | समाज से जुड़े कांग्रेस के नेता सभी फोरम पर इस बात को उठाकर अपनी बात रख भी रहे है | अपनी उपेक्षा से निराश अल्पसंख्यक समुदाय कभी भी कोई बड़ा राजनैतिक कदम उठा सकता है | प्रदेश की 74 विधानसभा और 12 संसदीय क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले  इस समाज का यह कदम प्रदेश में बड़ा उलटफेर भी कर सकता है |
मध्य प्रदेश मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के अध्यक्ष आरिफ भाई फारुखी ( बाबुभाई क़ाज़ी ) का कहना है की अल्पसंख्यक समाज राजनैतिक रूप से प्रदेश में पिछड़ता चला जा रहा है | कांग्रेस को अपरोक्ष रूप से इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए उनका कहना है की आज हालात यह की प्रदेश के किसी भी स्थापित मुस्लिम नेता का चेहरा कांग्रेस के पोस्टर- बैनर पर नज़र नहीं आता है | 

उनका कहना था की प्रदेश के पाच विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 40 से 45 प्रतिशत है. इन क्षेत्रों में भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, नरेला और बुरहानपुर एवं रतलाम शामिल हैं | इसके साथ 14 विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाताओं का प्रतिशत 20 से 25 है और इनमें मुख्य जावरा, महिदपुर, उज्जैन, इंदौर-3, खरगौन, चंदेरी, नीमच और मंदसौर शामिल हैं | इसके बावजूद प्रदेश से समाज का इकलोता विधायक है |

श्री क़ाज़ी का कहना है की कांग्रेस के नेता अल्पसंख्यकों के थोकबंद वोट तो ले लेते है लेकिन उन्हें पद देना तो ठीक पूरा सम्मान भी नहीं दे रहे है | उन्होंने बताया की इस बारे में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को पत्र के माध्यम से जानकारियाँ दे दी गई है |

उन्होंने कहा कि 22 विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाताओं का प्रतिशत 16 से 20 है |  बाकी बचे विधानसभा क्षेत्रों में यह प्रतिशत 10 से 15 है | इसी प्रकार मध्यप्रदेश के 12 संसदीय क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इन 12 संसदीय क्षेत्रों में भोपाल, खंडवा, जबलपुर, सागर, इंदौर और उज्जैन जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं |

श्री क़ाज़ी का कहना है की समाज का युवा वर्ग अब शिक्षित है और वह इस बारे में समाज के नेताओं को ही कठघरे में खडा करने लगा है | उनका कहना था की टिकट वितरण में कांग्रेस को इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योकि  इस बार अल्पसंख्यक मतदाता आवेग में है और इस आवेग को नहीं थामा गया तो यह प्रदेश के कई प्रमुख क्षेत्रो का चुनाव परिणाम बदल देगा | 

श्री क़ाज़ी सीधे तौर पर तो नहीं कहते लेकिन यह मानते है की मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि उदार नेता की है इसलिए कुछ प्रतिशत अल्पसंख्यक मत वे अपनी तरफ मोड़ सकते है |