बंद रही दवा दुकानें देशव्यापी हड़ताल को मिला पूरा समर्थन

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इमालवा – रतलाम : ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के आह्वान पर रतलाम के दवाई विक्रेताओं ने भी दवा दुकानें बंद रखी | व्यवसायियों ने शहर में जुलुस निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौपा |

दवा के क्षेत्र में एफडीआइ के खिलाफ और उपभोक्ताओं को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की मांग को लेकर किये जा रहे इस आंदोलन में देश के 7.5 लाख दवा विक्रेताओं के साथ रतलाम के दवा विक्रेताओं ने भी हड़ताल की | केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (जेसीडीए) के अध्यक्ष ने बताया कि दवा के क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश से आम लोगों को और अधिक महंगी दवाएं मिलने लगेंगी. दवा दुकानों में फार्मासिस्ट रखना चुनौती है. इसलिए सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग की जा रही है.

 दवा विक्रेताओं की देशव्यापी हडताल के मद्देनजर जिले में आज दवा दुकानों के बंद रहने से मरीजों और उनके तीमारदारों को कठिनाई का सामना करना पड रहा है.

 केमिस्ट एंड ड्रगिस्टस एसोसिएशन के बैनर तले आयोजित इस एक दिवसीय बंद के कारण दवा की थोक दुकाने भी बंद रही हैं. पांच सूत्रीय मांगों के समर्थन में दवा दुकानदारों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन के दौरान  केमिस्ट एंड ड्रगिस्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष  ने दावा किया कि दवा विक्रे ताओं की इस देशव्यापी हडताल के समर्थन में प्रदेश के अन्य भागों के सभी चालीस हजार केमिस्टों ने आज अपनी दुकानें बंद रखी है.

उन्होंने कहा कि हमारी प्रमुख मांगों में फर्मासिस्ट समस्या का उचित निराकरण, दवा कानून संशोधन 2008 में सुधार किया जाना, बढती मंहगाई को देखते हुए नयी दवा नीति में दवा विक्रेताओं का मुनाफा यथावत रखा जाए, दवा विक्रय के क्षेत्र में एफडीआई को नहीं लागू किया जाना और जीवन रक्षक दवाओं और वैक्सिन को कम किया जाए तथा पेटेंट के नाम पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अधिक कीमत लिए जाने की नीति पर रोक लगायी जाए. सिंह ने कहा कि उनकी मांगों पर अगर सरकार ने सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं किया तो वे अनिश्चितकालीन हडताल पर भी जा सकते हैं.