रतलाम। रवि पुष्य के शुभ नक्षत्र में शहर के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर रविवार को स्वर्णाभूषण और धन से दमकने लगा। माता के दरबार में सुबह से ही शृंगार के लिए भक्तों की कतार लगने लगी। उनके द्वारा भेंट किए जा रहे आभूषण और नोटों की गड्डियों से माता का अद्भुत शृंगार किया जाएगा, जिसे सभी लोग धनतेरस से भाईदूज तक निहार करेंगे।
धन, वैभव व समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का पांच दिवसीय पर्व धनतेरस, रूप चौदस व दीपावली (लक्ष्मी पूजन), पड़वा और भाईदूज तक महालक्ष्मी का आभूषण, नकदी सहित अन्य सामान से शृंगार किया जाएगा। उत्सव को लेकर भक्तों द्वारा मंदिर पर जोर-शोर से तैयारी की जा रही हैं। श्रद्धालुओं को दर्शन करने में परेशानी न आए, इसके लिए आने और बाहर जाने के लिए दो रास्ते रहेंगे। मंदिर में सुरक्षा की दृष्टि से पांच क्लोज सर्किट कैमरे भी लगाए गए हैं।
इनसे होता महालक्ष्मी का शृंगार
महालक्ष्मी के शृंगार के लिए श्रद्धालुओं द्वारा हर साल आस्थानुसार गिन्नियां, 10, 20, 50, 100, 500, 1000 केे नोटों की गड्डियां होंगी। साथ ही सोने-चांदी के बिस्किट, सिल्लियां, नोट, हार, चूडिय़ां, नथ, माला, चेन, पायजेब आदि सामग्री भी बड़ी संख्या में माता के चरणों में भेंट की जाती हैं।
मान्यता है ये
कई भक्त की सालों से माता के प्रति आस्था है। वह सभी आभूषण सहित नकदी श्रृंगार के लिए माता के मंदिर में लाते हैं। उत्सव समापन के बाद अपने घर और प्रतिष्ठान में ले जाते हैं, इससे पूर्व वर्ष भर उनके यहां समृद्धि के साथ माता का आशीर्वाद रहता है। साथ ही धन तेरस पर महिलाओं को बंटने वाले कुबेर पोटली का भी बड़ा महत्व है, जो केवल महिलाओं को दी जाएगी।
प्राचीन है माता मंदिर
महालक्ष्मी मंदिर करीब 300 साल पुराना बताया जाता है। शहरवासियों सहित यह प्रदेशभर में आस्था केंद्र है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं पांच दिवसीय महोत्सव में हजारों भक्त पहुंचते हैं। संजय पुजारी के अनुसार रतलाम की स्थापना के समय से ही महाराज ने यहां मूर्ति स्थापित कर कल्पना की थी जो भी महालक्ष्मी के दर्शन-वंदन करेगा, उसे कभी भी धन संपदा के साथ सुख शांति बनी रहती व और बस तभी से यह सिलसिला चला आ रहा है।