रतलाम। पटरियों पर दौड़ रही रतलाम-उज्जैन पैसेंजर में बांगरोद के समीप कपलिंग खुलने से इंजन अलग होने के बाद कोच स्वतः ब्रेक लगने से रुक गए। तेज झटका लगने के बाद अगर कोच पटरियों पर दौड़ते रहते तो उनके बेपटरी होने का खतरा था। इंजन अलग होने के बाद भी कोई नुुकसान नहीं होने से यात्रियों ने राहत की सांस ली। घटना के दौरान ट्रेन में करीब 800 यात्री सवार थे।
घटना के बाद कंट्रोल में मिली सूचना के मुताबिक पहली लापरवाही कपलिंग ठीक नहीं होने की ही सामने आई है। घटना के बाद वापस इंजन जोड़कर ट्रेन को रवाना किया गया। रेलवे ने ट्रेन में विलंब मात्र 10 मिनट का बताया है लेकिन करीब 20 से 25 मिनट ट्रेन मौके पर खड़ी रही।
इंजन अलग होते ही रुक गए कोच
घटना रतलाम व बांगरोद के बीच ए कैबिन के समीप की है। कपलिंग खुलने के बाद इंजन और कोच के बीच प्रेशर पाइप भी अलग हो गए। प्रेशर बंद होने से कोचों में स्वतः ही ब्रेक लग गए। इससे तेज गति में चल रही ट्रेन के सभी कोच तेज झटके के साथ ट्रैक पर रुक गए। ट्रेन ड्राइवर हरिप्रसाद एम ने इसकी सूचना गार्ड के अलावा कैबिन पर भी दी। रेलवे सूत्र बताते हैं कि रतलाम में ट्रेन आने के बाद इंजन की शंटिंग ठीक से नहीं किए जाने पर रतलाम से निकलने के बाद ही ट्रेन का कपलिंग खुल गया।
सहम गए यात्री
इंजन अलग होने की जानकारी मिलने के बाद ट्रेन में सवार यात्री सहम गए। दरअसल इस ट्रैक पर ट्रेन की गति 90 से 100 किमी प्रतिघंटा रहना सामान्य बात है। ऐसे में कपलिंग खुलने के बाद इंजन अलग होने पर कोच के बेपटरी नहीं होने से सभी ने राहत की सांस ली।
पहले भी हुईं घटनाएं
कपलिंग खुलने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। लेकिन अधिकांश मामले मालगाड़ियों के थे। यात्री ट्रेनों में रेलकर्मियों द्वारा कपलिंग जोड़ने के बाद ड्राइवर भी जांच करते हैं। रतलाम-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में कपलिंग ठीक से नहीं लगना रेलवे की सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े कर रहा है।
इसलिए खुलते हैं कपलिंग
-प्लेटफॉर्म पर घुमाव होने पर कपलिंग की राड़ का टकराना।
-मालगाड़ियों के ओवरलोडिंग होने और झटके लगना।
-कपलिंग के हूक को ठीक से लॉक नहीं करना।
-इंजन में अचानक ब्रेक लगना।
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